लखनऊ, 11 सितंबर (आईएएनएस)। शानदार कैंपस, चाक-चौबंद व्यवस्था, अच्छे क्लास रूम देख बच्चों और उनके अभिभावकों के चेहरे खिल उठे। यह नजारा अटल आवासीय विद्यालयों के सत्रारंभ का था। जहां निर्माण श्रमिकों, कोरोना काल में निराश्रित और मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के पात्र बच्चे नवोदय विद्यालय की तर्ज पर निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने पहुंचे।
अटल आवासीय विद्यालय श्रमिक पाल्यों और कोरोना से निराश्रित बच्चों का भविष्य संवारने के लिए यूपी सरकार की अभिनव पहल है।
सोमवार को नव प्रवेशित बच्चों और उनके अभिभावक क्लास, हॉस्टल रूम, मेस की व्यवस्थाओं को देख आश्चर्यचकित थे। उनके लिए अब तक इतनी शानदार व्यवस्था सिर्फ कल्पना की बात थी। बच्चे ये जानकर गदगद थे कि ये सभी इंतजाम उनके लिए किए गए हैं।
सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार राज्य के अलग-अलग मंडलों में निर्मित इन विद्यालयों में कक्षा छह में 80 विद्यार्थियों का प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला हुआ है, जिसमें 40 बालिकाएं और 40 बालक हैं।
सोमवार को इन विद्यालयों में आयोजित हुए सत्रारंभ के कार्यक्रम में जनपद और मंडलीय स्तर के अधिकारी भी शामिल हुए। उन्होंने विद्यार्थियों व अभिभावकों से संवाद कर उनका उत्साह बढ़ाया।
अधिकारियों ने कहा कि सरकार की मंशा है कि धन की वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से कोई भी विद्यार्थी वंचित न रहे। यह विद्यालय श्रमिकों के बच्चों के साथ-साथ बेसहारा बच्चों के सपनों को नई उड़ान देगा और उन्हें एक अच्छा नागरिक बनाएगा, जो प्रदेश एवं देश के विकास में अपना योगदान दे सकेंगे।
गोरखपुर मंडल के सहजनवा में शुरू हुए अटल आवासीय विद्यालय के प्रथम शैक्षणिक सत्र को उत्सव के रूप में मनाया गया। विद्यालय के शिक्षकों ने नव प्रवेशित बच्चों और उनके अभिभावकों का स्वागत किया।
अपनी पुत्री गरिमा को विद्यालय पहुंचाने आए नौसढ़ निवासी मजदूर विकास जायसवाल ने कहा ''अपनी वर्तमान कमाई को कई गुना बढ़ा लेने पर भी वह इस तरह के स्कूल में बच्चों को पढ़ा नहीं पाते। पढ़ाई की चिंता दूर हो गई, अब बच्चों का भविष्य संवर जाएगा।"
उन्होंने मजदूरों के बच्चों को भी कॉन्वेंट स्कूल जैसी सुविधा मुफ्त में देने के लिए सीएम योगी को धन्यवाद दिया।
वाराणसी के करसड़ा में अटल आवासीय विद्यालय 66.54 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुआ है। विद्यालय में गंगा, यमुना, सरस्वती और गोमती चार हाउस बनाए गए हैं। वहां का भी पहला सत्र प्रारंभ हो गया।
इस दौरान अपने बेटे को कंप्यूटर की शिक्षा दिलाने की चाह लेकर पहुंचे चंदौली के श्रमिक असलम ने कहा ''उनका बेटा अच्छे स्कूल में पढ़ना चाहता था। लेकिन, आय कम होने से ऐसा हो पाना कठिन था।''
उन्होंने कहा कि मेरे परिवार का सपना साकार हो गया है। अब हम चिंता मुक्त हो गए हैं।''
उल्लेखनीय है कि इस विद्यालय का आधिकारिक उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 23 सितंबर को प्रस्तावित है। लेकिन, आज से यहां भी सत्र शुरू हो गया।
--आईएएनएस
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