नई दिल्ली, 11 अगस्त (आईएएनएस)।हाथी न केवल प्रकृति के इंजीनियर हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिन हमें उनके सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे आवास विनाश, अवैध शिकार और मानव-हाथी संघर्ष, पर ध्यान देने और समाधान खोजने का अवसर देता है। इनके संरक्षण और महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने की एक कोशिश के तहत ही हर साल 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है।
हाथी को विश्व के विशाल और बुद्धिमान प्राणियों में से एक माना जाता है। विशेष रूप से एशियाई और अफ्रीकी प्रजातियां अपनी बुद्धिमत्ता, सामाजिक व्यवहार और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती हैं। भारत में ये सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से पूजनीय भी हैं, गणेश भगवान के प्रतीक भी माने जाते हैं। फिर भी दुख की बात है कि भारत में एशियाई हाथियों की आबादी तेजी से घट रही है।
भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार, भारत में लगभग 27,000 जंगली हाथी बचे हैं, जो मुख्य रूप से असम, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जंगलों में पाए जाते हैं। शहरीकरण, वन कटाई और कृषि विस्तार ने उनके प्राकृतिक आवास को खतरे में डाल दिया है, जिससे मानव और हाथियों के बीच संघर्ष बढ़ रहा है।
विश्व हाथी दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को उन चुनौतियों के प्रति जागरूक करना और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। अवैध शिकार और हाथी दांत की तस्करी ने भी इन प्राणियों को गंभीर खतरे में डाल दिया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के अनुसार, अफ्रीकी हाथी अब 'लुप्तप्राय' और एशियाई हाथी 'गंभीर रूप से लुप्तप्राय' की श्रेणी में हैं। यह स्थिति किसी चेतावनी से कम नहीं।
भारत में, सरकार और गैर-सरकारी संगठन हाथियों के संरक्षण के लिए कई कदम उठा रहे हैं। प्रोजेक्ट एलिफेंट, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्यों के माध्यम से उनके आवासों की रक्षा की जा रही है। साथ ही, स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
विश्व हाथी दिवस पर, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी योगदान देना चाहिए। छोटे कदम बड़े बदलाव का सबब बन सकते हैं। इन विशालकाय प्राणियों की रक्षा कर हम मानव जाति पर बड़ा एहसान करेंगे। इन्हें सहेज हम सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का काम कर पाएंगे।
--आईएएनएस
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