नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। भारत के लोगों में तेजी से डायबिटीज (मधुमेह) के मामले बढ़ रहे हैं। खासतौर पर 35 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों में डायबिटीज का खतरा ज्यादा बढ़ गया है। इसका सबसे अहम कारण बिगड़ती जीवनशैली है। जिसमें असंतुलित आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, और मोटापा डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है। हालांकि, हर बीमारी के प्रबंधन में आयुर्वेद पद्धति सटीक मानी गई है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर डायबिटीज से जूझ रहे मरीज ‘विजयसार’ का इस्तेमाल करते हैं तो वह अपनी डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं।
‘विजयसार’ का पेड़ आमतौर पर भारत, श्रीलंका और नेपाल के जंगलों में पाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, इसकी छाल, तना और लकड़ी में मौजूद औषधीय गुण रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने और मधुमेह से जुड़ी जटिलताओं को कम करने में मददगार साबित होते हैं।
अब सवाल यह है कि विजयसार का इस्तेमाल करने के लिए इसकी छाल, तना कहां से लाएं। इसका जवाब है कि अगर आपको इसकी छाल, तना नहीं मिल रहा है तो आप बाजार से विजयसार की लकड़ी का बना गिलास खरीदकर लाएं। आप इसमें रात को पानी भर दें और सुबह उठकर खाली पेट पिएं। इससे रक्त शर्करा नियंत्रण में आता है। विजयसार की छाल का पाउडर (1-2 चम्मच) पानी या शहद के साथ दिन में एक बार लें। छाल को पानी में उबाल लें और काढ़ा तैयार करें। जरूरत के हिसाब से इसे दिन में एक बार जरूर पिएं। खाली पेट पीने से इसका लाभ ज्यादा होता है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, विजयसार रक्त शर्करा को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने में प्रभावी है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मधुमेह से होने वाली जटिलताओं जैसे न्यूरोपैथी और रेटिनोपैथी को कम करते हैं।
हालांकि, अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और इसे कंट्रोल करने के लिए विजयसार का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। क्योंकि, जल्दी लाभ पाने के चक्कर में कई बार मरीज इसका अधिक सेवन कर लेते हैं, जिससे दस्त और पेट में जलन की शिकायत बढ़ जाती है।
गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं बिना चिकित्सक की सलाह के इसका उपयोग न करें। यदि आप पहले से कोई एलोपैथिक दवा ले रहे हैं तो शुगर लेवल नियमित रूप से चेक करते रहें। कभी-कभी शुगर बहुत कम भी हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह से दवाओं की मात्रा समायोजित करें।
--आईएएनएस
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