नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली में गैर-सरकारी संगठन सुकार्या द्वारा मंगलवार को आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में किशोर स्वास्थ्य के मुद्दे पर गहन चर्चा की गई। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किशोरों के शारीरिक, मानसिक और पोषण संबंधी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करना था। सम्मेलन में देश-विदेश से आए स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सुकार्या की संस्थापक एवं अध्यक्ष मीरा सत्पथी ने कहा कि किशोर भारत की आबादी का सबसे बड़ा वर्ग हैं, इसलिए उनके स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि यदि किशोरावस्था में बच्चों के शारीरिक, मानसिक और पोषण से संबंधित मुद्दों का समाधान समय रहते कर लिया जाए, तो यह भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी बोझ को काफी हद तक कम कर सकता है।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वस्थ किशोर ही स्वस्थ समाज और सशक्त राष्ट्र की नींव हैं।
सोशल चेंजमेकर्स एंड इनोवेटर्स की सह-संस्थापक बोनीता शर्मा ने कहा कि विकासशील देशों में आज युवा तीन तरह की पोषण संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, कम वजन, अधिक वजन, और एनीमिया।
उन्होंने इसे ट्रिपल बर्डन ऑफ न्यूट्रीशन कहा, यानी एक तरफ कुपोषण है तो दूसरी ओर मोटापा और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी। बोनीता ने कहा कि यह समस्या केवल भारत या नेपाल की नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देशों में यह गंभीर चुनौती बनती जा रही है।
उन्होंने बताया कि सम्मेलन में विशेषज्ञों ने समस्या के समाधान के लिए विद्यालयों को एक प्रवेश बिंदु के रूप में उपयोग करने का सुझाव दिया है। स्कूलों के माध्यम से किशोरों में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाई जा सकती है, जिससे उनके जीवन की नींव मजबूत होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नीतियां और योजनाएं तो बहुत अच्छी हैं, लेकिन कार्यान्वयन में बड़ी खाई है। इसीलिए, मजबूत निगरानी व्यवस्था की जरूरत है ताकि योजनाएं जमीन पर सही ढंग से लागू हो सकें।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले सत्रों में तकनीकी नवाचार और एआई के उपयोग पर भी चर्चा होगी ताकि नए समाधान खोजे जा सकें।
--आईएएनएस
पीआईएम/एबीएम