मुंबई, 25 नवंबर (आईएएनएस)। बॉलीवुड में कई सितारे ऐसे रहे हैं, जिन्हें देखने पर लगता है कि उनकी जिंदगी शुरू से ही चमक और शोहरत से भरी रही होगी। अर्जुन रामपाल भी उन्हीं चेहरों में से एक हैं। मॉडल जैसी पर्सनैलिटी देखकर कोई भी कहेगा कि उनका सफर बहुत आसान होगा। लेकिन, असलियत इससे बिल्कुल अलग है।
शुरुआत में अर्जुन को ऐसे दौर से गुजरना पड़ा, जब रोजमर्रा का खर्च चलाना भी उनके लिए मुश्किल हो जाता था। यह संघर्ष उनकी जिंदगी का ऐसा पहलू है, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं।
अर्जुन रामपाल का जन्म 26 नवंबर 1972 को मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ था। उनका परिवार मिलिट्री बैकग्राउंड से जुड़ा था। उनके नाना ब्रिगेडियर गुरदयाल सिंह भारतीय सेना के लिए पहली आर्टिलरी गन डिजाइन करने वाली टीम का हिस्सा थे। अर्जुन जब काफी छोटे थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जो एक स्कूल टीचर थीं।
स्कूल की शिक्षा महाराष्ट्र में हुई और आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गए और यहां पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन किया।
एक दिन पार्टी में अर्जुन की मुलाकात फैशन डिजाइनर रोहित बल से हुई और उन्होंने मॉडलिंग करने का ऑफर दिया। देखते ही देखते वह भारत के टॉप मॉडल्स में गिने जाने लगे। साल 1994 में उन्हें मॉडलिंग के लिए 'सोसाइटी फेस ऑफ द ईयर' अवॉर्ड भी मिला। लेकिन, हर चमक के पीछे एक कहानी होती है। मॉडलिंग में नाम बनाने के बावजूद कमाई बहुत अनियमित थी।
अर्जुन ने एक इंटरव्यू में खुद बताया था कि फिल्मों में आने की कोशिशों के दौरान उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि कई बार उनके पास खाना खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे। दिखने में मॉडल जैसे पर जिंदगी में वह संघर्ष कर रहे थे कि घर कैसे चलेगा, आने वाले दिनों में काम मिलेगा भी या नहीं।
ऐसे ही संघर्ष भरे दिनों में अर्जुन को अपनी पहली फिल्म 'मोक्ष' मिली, लेकिन यह फिल्म बनने में पांच साल लग गए। इस बीच उन्होंने मॉडलिंग छोड़ दी थी और कोई तय काम भी नहीं था। आखिरकार 2001 में उनकी पहली रिलीज फिल्म 'प्यार इश्क और मोहब्बत' आई। यह फिल्म भले बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली, लेकिन अर्जुन की एक्टिंग की जमकर तारीफ हुई। इसी फिल्म के लिए उन्हें आईफा का फेस ऑफ द ईयर अवॉर्ड मिला। इसके बाद उन्हें लगातार फिल्में मिलने लगीं।
अर्जुन ने 'दीवानापन,' 'दिल का रिश्ता,' और 'वादा' जैसी फिल्मों में रोमांटिक भूमिकाएं निभाईं, जिन्हें दर्शकों ने पसंद तो किया, लेकिन ये फिल्में खास हिट नहीं हो सकीं। फिर भी अर्जुन के लुक और अभिनय ने इंडस्ट्री में पकड़ को बनाए रखा।
अर्जुन के करियर में बड़ा मोड़ 2006 और 2007 के बीच आया। शाहरुख खान की फिल्म 'डॉन' में उनका किरदार लोगों के बीच चर्चा का विषय बना। लेकिन, असली पहचान उन्हें 'ओम शांति ओम' में निभाए गए खलनायक के रोल से मिली। उन्हें खतरनाक विलेन के रूप में देखकर दर्शक हैरान रह गए। इसके बाद 2008 में आई 'रॉक ऑन' में उन्होंने एक रॉकस्टार की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्होंने असली गिटार सीखने में महीनों लगाए।
इस फिल्म ने न सिर्फ उनके करियर में नई जान डाली, बल्कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला।
अर्जुन ने बाद में अपनी प्रोडक्शन कंपनी 'चेजिंग गणेशा फिल्म्स' शुरू की और 'आई सी यू' और 'डैडी' जैसी फिल्मों को प्रोड्यूस किया। उनके इस लंबे करियर में कई फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कई असफल भी रहीं, लेकिन अर्जुन ने कभी कोशिशें नहीं छोड़ीं।
आज अर्जुन रामपाल हिंदी सिनेमा के स्थापित नामों में गिने जाते हैं। वह फिल्मों में एक्टिव हैं और फिटनेस को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं।
--आईएएनएस
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