श्रीनगर में अद्वितीय ‘एकता मार्च’, विभिन्न धर्मों के नेताओं ने देश की शांति और एकता के लिए की प्रार्थना

श्रीनगर में अद्वितीय ‘एकता मार्च’, विभिन्न धर्मों के नेताओं ने देश की शांति और एकता के लिए की प्रार्थना

श्रीनगर, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय अल्पसंख्यक महासंघ (आईएमएफ) द्वारा ‘सरदार@150 एकता मार्च’ अभियान के तहत कश्मीर की डल झील के किनारे अपनी तरह का पहला बहु-धार्मिक एकता मार्च आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की एकता, शांति और समृद्धि के लिए विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने श्रीनगर के धार्मिक स्थलों पर विशेष प्रार्थनाएं कीं।

इस ऐतिहासिक आयोजन में हिंदू, कश्मीरी पंडित, शिया और सुन्नी मुस्लिम, सूफी, सिख, ईसाई और बौद्ध समुदायों के धार्मिक नेताओं और अनुयायियों ने हिस्सा लिया। इस बहु-धार्मिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राज्यसभा सदस्य और आईएमएफ संयोजक सतनाम सिंह संधू तथा आईएमएफ सह-संस्थापक प्रोफेसर हिमानी सूद ने किया।

प्रार्थना कार्यक्रम की शुरुआत शंकराचार्य मंदिर से हुई, जो 9वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा निर्मित भगवान शिव को समर्पित कश्मीर का प्राचीनतम मंदिर है।

इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने दस्तगीर साहिब दरगाह और गुरुद्वारा छठी पातशाही गुरु हरगोबिंद साहिब में जाकर देश की एकता, सद्भाव और समृद्धि के लिए अरदास की।

सेंट ल्यूक चर्च में मोमबत्तियां जलाकर भारत को शांति और एकता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रार्थना की गई।

इन धार्मिक प्रार्थनाओं के बाद आईएमएफ द्वारा डल झील पर एक रंगारंग बहु-धार्मिक एकता मार्च निकाला गया। इस दौरान सभी धर्मों के नेताओं और लोगों ने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के नारे लगाए और ‘एकता की शपथ’ लेकर राष्ट्र की अखंडता और सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा का संकल्प दोहराया।

राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा कि सरदार पटेल के अथक प्रयासों ने भारत को एकजुट किया। स्वतंत्रता के दशकों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस घोषित कर उनकी विरासत को सच्ची श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री मोदी ने अनुच्छेद 370 हटाकर ‘एक राष्ट्र, एक संविधान’ के सरदार पटेल के सपने को साकार किया।

शंकराचार्य मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित दीप सिंह और पंडित जैल सिंह ने कहा कि शुक्रवार को राष्ट्रीय एकता दिवस पर हमने भगवान शिव से देश की शांति और कल्याण के लिए प्रार्थना की। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत एकता और प्रगति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।

दस्तगीर साहिब दरगाह के मुजावर अब्दुल रहमान ने कहा कि कश्मीर के लोग देश के साथ मजबूती से खड़े हैं। आज सभी समुदायों ने मिलकर शांति और सद्भाव के लिए अरदास की। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से घाटी में हालात काफी बेहतर हुए हैं।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्रीनगर के उपाध्यक्ष जसबीर सिंह वजीर, महासचिव गुरमीत सिंह बाली और ग्रंथी दविंदर सिंह ने कहा कि कश्मीर में सभी धर्मों के लोग एकजुट होकर रह रहे हैं। हमारी एकता अटूट है, और कोई दुर्भावनापूर्ण शक्ति हमें विभाजित नहीं कर सकती।

वहीं, सेंट ल्यूक चर्च के पादरी राजिंदर कुमार, शमशेर मसीह और वीनू कौल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी धर्मों के लोग एकजुट हैं। चर्च के जीर्णोद्धार के लिए 70 लाख रुपए की सहायता देने के लिए हम प्रधानमंत्री का धन्यवाद करते हैं। हमारी सच्ची प्रगति और समृद्धि एकता में ही निहित है।

बारामूला की हरलीन कौर और अरनीत कौर ने कहा कि कई वर्षों बाद श्रीनगर में ऐसा आयोजन हुआ, जिसमें सभी धर्मों के लोग एक मंच पर आए। हम प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए एकजुट हैं।

अकाली कौर सिंह गतका अखाड़ा के सिमरप्रीत सिंह ने कहा कि आज के एकता मार्च में हमने सबको एक साथ चलते देखा। यही पीएम मोदी की ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना है।

वहीं, अभिनेत्री प्रीति सप्रू ने कहा कि यह एकता मार्च पूरे विश्व को संदेश दे रहा है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम सब एक हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़े हैं।

इस मौके पर बॉलीवुड अभिनेता मुकेश ऋषि ने कहा कि हम सब ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ रहे हैं। यही सच्ची एकता की भावना है।

प्रतिभागियों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्णायक नेतृत्व में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति, विकास और पर्यटन के एक नए युग की शुरुआत हुई है।

पहलगाम हमले जैसी घटनाओं के बावजूद देश की एकता को नुकसान नहीं पहुंचा, बल्कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए आतंकवादियों को करारा जवाब दिया गया।

--आईएएनएस

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