दौसा, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत में आज भी कई ऐसे मंदिर हैं, जो रहस्यों और चमत्कारों से भरे हुए हैं। हर मंदिर की अपनी कहानी होती है, लेकिन मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बात ही अलग है। यह राजस्थान के दौसा जिले में दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है। जैसे ही आप यहां कदम रखते हैं, आपको कई अजीबोगरीब नजारे देखने को मिलेंगे, जिन्हें देखकर पहली बार आने वाले लोग चौंक जाते हैं और कभी-कभी डर भी जाते हैं।
मंदिर में बालाजी की मूर्ति हनुमानजी का बाल रूप है। इस मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि बाईं ओर एक छिद्र से लगातार जल बहता रहता है। लोग इसे बालाजी का पसीना मानते हैं और इस जल की छीटों को इतना पवित्र मानते हैं कि इससे बुरी नजर से बचाव होता है। हालांकि, इसका स्रोत क्या है, यह किसी को नहीं पता, लेकिन श्रद्धालुओं में इसे लेकर गहरा विश्वास है।
मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानी कोतवाल कप्तान की मूर्तियां भी हैं। यहां हर दिन दो बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी होती है, जिसमें लोगों पर आए भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र को दूर किया जाता है।
मंदिर का एक और नियम है कि यहां के किसी भी प्रसाद को आप घर नहीं ले जा सकते और न ही किसी को दे सकते हैं। अगर ऐसा करते हैं, तो ऊपरी साया आप पर आ सकता है।
मंदिर में प्रसाद दो प्रकार के हैं, दर्खावस्त और अर्जी। दर्खावस्त को हाजरी भी कहा जाता है और इसे लेने के बाद तुरंत वहां से निकलना होता है। अर्जी का प्रसाद तीन थालियों में मिलता है और लौटते समय इसे पीछे फेंकना होता है। हालांकि, इसे फेंकते समय पीछे बिल्कुल नहीं देखना चाहिए।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर अपने रहस्यों, अनोखी परंपराओं और आस्था के लिए जाना जाता है। यहां सिर्फ सिर झुकाने से ही मन को शांति और जीवन में नई दिशा मिलती है।
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