पीएम मोदी के कारण ब्रिटेन-भारत के बीच विश्वास बढ़ा, एफटीए से दोनों देशों को होगा फायदा : अनिल अग्रवाल

पीएम मोदी के कारण ब्रिटेन-भारत के बीच विश्वास बढ़ा, एफटीए से दोनों देशों को होगा फायदा : अनिल अग्रवाल

नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। वेदांता के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटेन-भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण दोनों देशों के बीच बढ़े विश्वास का नतीजा है। इससे दोनों देशों को फायदा होगा।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए अग्रवाल ने कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच एफटीए अद्वितीय है। इसे लेकर दोनों देशों ने अपनी तरफ से पूरी मेहनत की है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी सुधार होगा।

उन्होंने आगे कहा कि ब्रिटेन के पास 400-500 वर्षों का अनुभव है और इसकी भारत को काफी जरूरत है। यूके के पास न्यूक्लियर, डिफेंस और ऑटोमोबाइल में काफी अच्छी टेक्नोलॉजी है। वहीं, हम टेक्सटाइल, डे-टू-डे प्रोडक्ट्स आदि का निर्यात कर सकते हैं। इस एफटीए से भारत की ओर से निर्यात होने वाले सामानों पर 90-95 प्रतिशत तक शुल्क कम हो जाएगा और दोनों देशों के बीच व्यापार 30 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।

अग्रवाल ने आगे बताया कि ब्रिटेन के साथ हुआ यह एफटीए केवल शुरुआत है इसका असर पूरे यूरोप पर होगा। इससे आगे के लिए और अवसर खुलेंगे।

उन्होंने आगे कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल था। इस दौरान दोनों देशों के उद्योगपतियों के बीच बातचीत हुई।

अग्रवाल ने कहा, "यह एफटीए एक अच्छे वातावरण में हुआ है। इसकी दोनों देशों को जरूरत थी और इससे दोनों देश के लिए दरवाजे खुल चुके हैं।"

अग्रवाल ने बताया, "इस दौरे पर पीएम मोदी का व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि यहां रहने वाले लोग भी स्तब्ध रह गए। उन्होंने यहां सभी के साथ हाथ मिलाया। प्रधानमंत्री ने चाय के स्टॉल पर जाकर मसाला चाय पी और हर स्टॉल पर गए।"

इस ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते के तहत, भारत ब्रिटेन के 90 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क में कटौती करेगा, जबकि ब्रिटेन 99 प्रतिशत भारतीय निर्यात पर शुल्क कम करेगा, जिससे सभी क्षेत्रों में सीमा शुल्क और नियामक प्रक्रियाओं में बड़ी कमी आएगी।

मुक्त व्यापार समझौते के होने से भारतीय कृषि उत्पादों को जर्मनी जैसे प्रमुख यूरोपीय निर्यातकों के साथ टैरिफ समानता प्राप्त होगी। वस्त्र और चमड़े पर शून्य शुल्क से बांग्लादेश और कंबोडिया जैसे क्षेत्रीय समकक्षों से भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है।

अधिकारियों का अनुमान है कि इस समझौते से लंबी अवधि में भारत को यूके का निर्यात लगभग 60 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

--आईएएनएस

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