पटना, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। बिहार के भागलपुर जिले में स्थित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र एक अनुसूचित जाति (एससी) सुरक्षित सीट है, जो भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह पीरपैंती और कहलगांव प्रखंडों में फैला हुआ है और झारखंड की सीमा से सटा है। पीरपैंती जिले का सबसे बड़ा प्रखंड है, जिसमें 89 गांव और 29 पंचायतें शामिल हैं।
पीरपैंती अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी जाना जाता है। प्रखंड के ईशीपुर में स्थित मां काली का मंदिर करीब 150 सालों से अधिक पुराना है, जबकि यहां का प्रसिद्ध शिव मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है। इसके अलावा, गंगा नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र में एक पीर की मजार है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
पीरपैंती पावर प्लांट, जिसे स्थानीय तौर पर 'पीरपैंती बिजली घर' के नाम से जाना जाता है, क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण बिजलीघर है। साथ ही, पीरपैंती रेलवे स्टेशन पूर्वी रेलवे के मालदा मंडल के अंतर्गत साहिबगंज लूप लाइन पर स्थित है, जो यहां के संपर्क को मजबूत करता है।
गंगा नदी पीरपैंती की जीवनरेखा है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक, कृषि और आर्थिक महत्व है। नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि, मछली पालन, व्यापार और लघु उद्योगों पर आधारित है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो 1951 में स्थापित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र प्रारंभ में सामान्य श्रेणी का था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। अब तक यहां कुल 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें सीपीआई ने छह बार, कांग्रेस ने पांच बार, राजद ने चार बार और भाजपा ने दो बार जीत दर्ज की है।
साल 2000 से पहले कांग्रेस और वामपंथी दलों का दबदबा रहा, लेकिन बाद में यह सीट राजद और भाजपा के बीच बारी-बारी से जाती रही। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के ललन सिंह ने राजद के रामविलास पासवान को हराकर इस सीट पर कब्जा किया।
पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता सबसे अधिक हैं। इसके अलावा, मुस्लिम, वैश्य, कुर्मी-कोइरी और धानुक समुदाय के वोटर भी अच्छी संख्या में हैं, जो यहां की राजनीतिक और सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं।
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