मुंबई, 15 अक्टूबर (आईएएनएस)। नरेंद्र चंचल का नाम भारतीय संगीत की दुनिया में अपनी मधुर आवाज और भक्ति गीतों के लिए हमेशा याद रखे जाएंगे। वह न सिर्फ फिल्मों के सफल गायक थे, बल्कि मां दुर्गा के जागरणों के सबसे लोकप्रिय भजन गायकों में से एक थे। उनकी आवाज में एक खास जादू था, जो दिलों को छू जाता था।
चंचल का सफर आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत, ईमानदारी और भक्ति ने उन्हें ऊंचाइयों तक पहुंचाया। खास बात यह है कि उनकी सफलता का बड़ा मौका उन्हें एक बैसाखी मेले के दौरान मिला था, जहां उन्होंने राज कपूर जैसे महान फिल्मकार को अपनी आवाज से मंत्रमुग्ध कर दिया था। यही घटना उनकी जिंदगी का बड़ा मोड़ बनी।
नरेंद्र चंचल का जन्म 16 अक्टूबर 1940 को अमृतसर के नमक मंडी इलाके में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका परिवार धार्मिक था और उनकी माता मां दुर्गा की भक्त थीं, जिसके चलते बचपन से ही उनके मन में भी माता रानी के प्रति श्रद्धा थी। नरेंद्र का झुकाव हमेशा से संगीत की ओर अधिक रहा। उन्होंने अपनी पहली संगीत शिक्षा भी मां से ही प्राप्त की। बाद में उन्होंने संगीतज्ञ प्रेम त्रिखा से भी प्रशिक्षण लिया। बचपन में वह थोड़े चंचल और शरारती थे, इसलिए स्कूल में उनके एक शिक्षक ने उन्हें चंचल नाम से बुलाना शुरू कर दिया, जो उनके लिए पहचान बन गया।
नरेंद्र चंचल ने शुरुआत में अमृतसर और चंडीगढ़ के छोटे-छोटे संगीत कार्यक्रमों में भजन गाने शुरू किए। उनकी गायकी में जो मिठास और भक्ति थी, वह धीरे-धीरे लोगों के दिलों में जगह बनाने लगी। लेकिन उनकी जिंदगी में अहम मोड़ तब आया, जब सन् 1972 में वह मुंबई गए थे। वहां पंजाबियों की एक संस्था के बैसाखी समारोह में वह बुल्ले शाह की काफिया गा रहे थे। इस समारोह में राज कपूर भी मुख्य अतिथि थे। राज कपूर ने जब नरेंद्र की आवाज सुनी, तो वह इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अगले दिन उन्हें अपने आरके स्टूडियो बुला लिया। राज कपूर को संगीत की गहरी समझ थी और उन्होंने जब देखा कि नरेंद्र की आवाज में कुछ खास है, तो उन्होंने तुरंत ही नरेंद्र को अपनी फिल्म 'बॉबी' में गीत गाने का मौका दिया। यह मौका नरेंद्र के लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
फिल्म 'बॉबी' में नरेंद्र चंचल का गाया हुआ गीत 'बेशक मंदिर मस्जिद तोड़ो' हिट हो गया और वे रातोंरात स्टार बन गए। यह गीत लोगों के दिलों में घर कर गया और नरेंद्र की आवाज हर जगह गूंजने लगी। इस गीत ने उन्हें न सिर्फ फिल्मी दुनिया में पहचान दी, बल्कि उनकी आवाज की खूबसूरती और उनकी गायकी की मिठास को भी सभी ने सराहा। 'बॉबी' के बाद नरेंद्र चंचल के पास फिल्मों के कई ऑफर आने लगे और वे जल्द ही बॉलीवुड के पसंदीदा गायक बन गए। हालांकि, उन्होंने फिल्मों के साथ-साथ भक्ति गीतों को भी नहीं छोड़ा और मां दुर्गा की भेंट गाना शुरू किया।
नरेंद्र चंचल ने मां दुर्गा के जागरणों को एक नई पहचान दी। उनके भजन और भेंट इतनी लोकप्रिय हुईं कि जागरण का रुख गांव से शहरों तक और फिर विदेशों तक हो गया। उनके भजनों में जो भक्ति और आत्मीयता थी, वह लोगों को उनके करीब ले आई। चंचल का नाम जागरण के साथ जुड़ गया था। लोग उनके बिना जागरण का आयोजन अधूरा समझते थे। उन्होंने अपनी गायकी से सिर्फ एक गायक के रूप में ही नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी लोगों के दिलों में जगह बनाई।
नरेंद्र चंचल को कई पुरस्कार भी मिले, जिनमें फिल्मफेयर अवार्ड भी शामिल था। उन्होंने अपने करियर में जो सम्मान और प्यार पाया, वह उनकी सादगी और सरलता का ही नतीजा था। वे हमेशा अपने फैंस के करीब रहे और अपनी लोकप्रियता को कभी अहंकार नहीं बनने दिया।
22 जनवरी 2021 को उनका निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य दिग्गजों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी थी।
--आईएएनएस
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