नागपुर सीबीआई कोर्ट का बड़ा फैसला, रिश्वतखोरी मामले में ऑर्डनेंस फैक्ट्री के दो अधिकारी दोषी, 5 साल की सजा

नागपुर सीबीआई कोर्ट का बड़ा फैसला: रिश्वतखोरी मामले में ऑर्डनेंस फैक्ट्री के दो अधिकारी दोषी, 5 साल की सजा

नागपुर, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कोर्ट, नागपुर ने रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए ऑर्डनेंस फैक्ट्री, नागपुर के दो सरकारी अधिकारियों को दोषी करार दिया। कोर्ट ने संयुक्त महाप्रबंधक सलीलकांत सनतकुमार तिवारी और कनिष्ठ कार्य प्रबंधक विनीत यादवराव सोरते को 5 साल के कठोर कारावास की सजा और प्रत्येक पर 1.5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

यह मामला 2 जनवरी 2012 को सामने आया था, जब सीबीआई ने शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया। आरोप था कि दोनों अधिकारियों ने शिकायतकर्ता की फर्म का 90,000 रुपए का बकाया भुगतान जारी करने और आगे सामान सप्लाई जारी रखने के एवज में 50 लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। इसी सिलसिले में उन्होंने शिकायतकर्ता से 22,000 रुपए की अवैध राशि स्वीकार की थी।

सीबीआई ने 3 जनवरी 2012 को एक ट्रैप ऑपरेशन के दौरान दोनों आरोपियों को 22,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया था। जांच के बाद एजेंसी ने 17 अक्टूबर 2012 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की।

लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद, अदालत ने सभी सबूतों और गवाहियों पर विचार करते हुए दोनों अधिकारियों को दोषी पाया और विजिलेंस कानूनों के तहत कठोर सजा सुनाई। यह फैसला सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

इससे पहले, सीबीआई की अहमदाबाद स्थित विशेष अदालत ने शनिवार को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, राजकोट के पूर्व सीनियर डिविजनल मैनेजर महेंद्र ए. लूनकर को रिश्वत लेने के मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल की सख्त कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

इसके अलावा, एक अन्‍य मामले में, सीबीआई की कोर्ट ने पंजाब के साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 7.8 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड मामले में सात आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी।

मामले के मुख्य आरोपियों मनीष जैन और रमेश कुमार जैन को तीन साल की कठोर कारावास और प्रत्येक पर 35,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया, जबकि अन्य आरोपियों रचना जैन, भूपिंदर सिंह, प्रतीपाल सिंह, संजीव कुमार जैन और अनीता जैन को तीन साल की जेल की सजा और प्रत्येक पर 15,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

--आईएएनएस

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