मणिपुर में निंगोल चाकोबा उत्सव का हर्षोल्लास, भाई-बहनों का प्रेम बंधन मजबूत

मणिपुर में निंगोल चाकोबा उत्सव का हर्षोल्लास, भाई-बहनों का प्रेम बंधन मजबूत

इंफाल, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। मणिपुर में ढाई वर्ष से अधिक चले संघर्ष और अशांति के बाद सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। राज्य भर में निंगोल चाकोबा उत्सव को अभूतपूर्व उत्साह और एकता के साथ मनाया गया। भाई-बहनों के बीच प्रेम और स्नेह के बंधन को मजबूत करने वाले इस पारंपरिक त्योहार ने परिवारों को फिर से जोड़ दिया।

इंफाल सहित पूरे मणिपुर में घर-घर हंसी-खुशी की छाई रही, जबकि राहत शिविरों में भी उत्सव की धूम मच गई। यह त्योहार मणिपुरी चंद्र माह हियांगेई के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में पड़ता है। इस वर्ष 23 अक्टूबर को यह त्योहार फिर से सामान्य स्थिति की वापसी का प्रतीक बन गया।

मणिपुर भाजपा की अध्यक्ष सारदा देवी ने आईएएनएस से बात करते हुए त्योहार पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, "जो भाई-बहन मणिपुर में हैं और जो राज्य से बाहर रह रहे हैं, उन सभी के लिए मैं निंगोल चकोबा के दिन शांति की अपील करती हूं। मणिपुर के लोग जहां भी रहें खुश रहें।"

चकोबा मनाने वाली शांतिमाला ने बताया कि मायके लौटने पर बहुत खुशी हो रही है, भाई से इस त्योहार पर मिलना बहुत ही भावुक पल है। हम सभी बहुत खुश हैं।

रामेश्वरी ने बताया, "उपहारों से ज्यादा भाई का आशीर्वाद महत्वपूर्ण है। इस त्योहार ने दूर रह रहे परिवार के सदस्यों को एक बार साथ लाकर खड़ा किया है।"

एक अन्य ने बताया, "मुझे बहुत खुशी और भावुकता महसूस हुई। हम शांति चाहते हैं और घर वापस जाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि यह संघर्ष आपसी समझ से खत्म हो।"

राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने भी प्रदेशवासियों को निंगोल चकोबा की बधाई दी। उन्होंने कहा, "निंगोल चाकोबा के पावन अवसर पर मणिपुरवासियों को बधाई। यह त्योहार भाई-बहनों के प्रेम को मजबूत करता है और सांस्कृतिक धरोहर को संजोता है। एकता, सम्मान और सामंजस्य से राज्य समृद्ध बने।"

निंगोल चाकोबा मणिपुर के सबसे प्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में शुमार है, जो मुख्य रूप से मेइतेई समुदाय द्वारा मनाया जाता है। 'निंगोल' का अर्थ विवाहित बहन या बेटी से है, जबकि 'चाकोबा' का मतलब है भव्य भोज के साथ आमंत्रण।

इस दिन भाई अपनी विवाहित बहनों को मायके बुलाते हैं, जहां पारंपरिक भोज परोसा जाता है। बहनें मिठाइयां, फल और उपहार लेकर आती हैं, बदले में भाई उन्हें वस्त्र, आभूषण और नकद उपहार देते हैं। बहनें भाइयों के स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख की कामना करती हैं। यह त्योहार पारिवारिक एकता, सम्मान और सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाता है, जो समुदायों से ऊपर उठकर लोगों को आनंद और एकजुटता में बांधता है।

--आईएएनएस

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