नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। दक्षिण भारत में कई रहस्यमयी मंदिर और चमत्कारी स्थल हैं, जहां अलग-अलग मान्यताओं की वजह से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। दक्षिण भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त जहरीले बिच्छुओं के साथ खेलने के लिए मां के मंदिर में पहुंचते हैं।
भक्तों का मानना है कि ऐसा करने से देवी कोंडामयी प्रसन्न होती हैं और सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। यह अद्भुत मंदिर यादगिरी जिले में स्थापित है।
मां कोंडामेश्वरी के मंदिर को बिच्छुओं की देवी कहा जाता है। नाग पंचमी के दिन दूर-दूर से लोग देवी कोंडामयी के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नाग पंचमी के दिन मां की विशेष पूजा अर्चना होती है और मंदिर में भक्तों के साथ बहुत सारे बिच्छू भी जाते हैं। भक्तों का मानना है कि पहाड़ पर बने इस मंदिर में साल में एक दिन, यानी नाग पंचमी के दिन ही बड़ी संख्या में बिच्छू अपने बिलों से बाहर आते हैं।
क्षेत्रीय लोग इस दिन को बिच्छुओं का मेला भी कहते हैं। भक्त मां के दर्शन के बाद बिच्छुओं के साथ खेलते हैं और उन्हें अपने शरीर पर भी चलाते हैं, लेकिन एक भी बिच्छू डंक नहीं मारता है।
माना जाता है कि एक दिन के लिए ही मां कोंडामयी बिच्छुओं का सारा जहर अपने अंदर ले लेती हैं, जिससे बिच्छुओं के अंदर जहर नहीं बचता। हालांकि, नाग पंचमी के अलावा किसी अन्य दिन अगर किसी को बिच्छू काट लेता है, तो उसकी मौत होने की संभावना बनी रहती है।
हर साल इस मेले में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं और इस अद्भुत मेले के साक्षी बनते हैं। कोंडामेश्वरी मंदिर में बिच्छू की एक अद्भुत प्रतिमा भी मौजूद है। नाग पंचमी के दिन बिच्छू की प्रतिमा की पूजा होती है। भक्तों का मानना है कि अगर किसी पर बिच्छू का जहर चढ़ भी जाता है तो उसे मां कोंडामेश्वरी के मंदिर में आकर भंडारा कराना होता है और मां के चमत्कार से बिच्छू का जहर भी उतर जाता है।
मां कोंडामेश्वरी के भक्त घाव पर हल्दी और अन्य जड़ी-बूटियों से बना लेप लगाते हैं। वहां बिच्छू काटने पर इलाज के लिए कोई भी डॉक्टर के पास नहीं जाता है, बल्कि लेप लगाकर और मां की आराधना कर खुद को ठीक करने की कोशिश की जाती है।
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