नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। किडनी हमारे शरीर की सफाई करने वाला सबसे मेहनती अंग है, जो हर दिन खून को फिल्टर करके अनचाहे तत्वों को पेशाब के जरिए बाहर निकालती है। आयुर्वेद में किडनी को अपान वायु और मूत्रवह स्रोतस से जुड़ा माना गया है। जब यह संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर कई संकेत देने लगता है।
किडनी की कमजोरी के शुरुआती लक्षणों में रात में बार-बार पेशाब लगना, पेशाब का रंग बदलना या उसमें झाग दिखना, शरीर में सूजन, लगातार थकान, मुंह में कड़वाहट, भूख की कमी और चेहरा पीला पड़ना शामिल हैं। कभी-कभी सांस फूलना, ब्लड प्रेशर बढ़ना या कमर के नीचे दर्द भी किडनी पर बढ़ते दबाव के संकेत होते हैं।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो किडनी संबंधी समस्याएं त्रिदोष असंतुलन का परिणाम होती हैं। जब वात दोष बढ़ता है, तो मूत्र प्रवाह गड़बड़ हो जाता है। पित्त दोष बढ़ने पर जलन, सूजन या पेशाब में खून आ सकता है और कफ दोष बढ़ने से शरीर में पानी रुकता है, जिससे सूजन या भारीपन महसूस होता है।
आयुर्वेद में उपचार केवल लक्षणों पर नहीं, बल्कि दोषों के संतुलन पर केंद्रित होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किडनी का काम खून से विषैले तत्व, यूरिया और सोडियम-पोटैशियम का संतुलन बनाए रखना और हार्मोन नियमन करना है। जब इसकी कार्यक्षमता 60 प्रतिशत से नीचे गिर जाती है, तो शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं, जिससे थकान, सूजन और रंग बदलने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
किडनी की सेहत बनाए रखने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं। सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पीना और रात में त्रिफला चूर्ण लेना शरीर को डिटॉक्स करता है। पुनर्नवा, गोखरू और गिलोय का काढ़ा सप्ताह में 2-3 बार पीने से किडनी की कार्यक्षमता बढ़ती है।
नमक, जंक फूड और पैकेज्ड खाने से दूरी बनाए रखें, क्योंकि ये किडनी पर अतिरिक्त बोझ डालते हैं। तनाव भी कम लें। इसके साथ योगासन जैसे मंडूकासन, भुजंगासन और पवनमुक्तासन करें, जो रक्त प्रवाह को संतुलित करते हैं और किडनी को प्राकृतिक रूप से सक्रिय रखते हैं।
घरेलू ड्रिंक्स जैसे धनिया पानी, करौंदा पानी और पुनर्नवा रस सूजन और जलन कम करते हैं, साथ ही शरीर को नेचुरल डिटॉक्स प्रदान करते हैं।
सबसे जरूरी है कि बार-बार पेनकिलर न लें, प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचें, पर्याप्त पानी पिएं और नींद पूरी करें।
--आईएएनएस
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