गढ़वा, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। झारखंड में मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के मत्स्य पालन विभाग और जलीय कृषि अवसंरचना विभाग की ओर से बड़े स्तर पर पहल की जा रही है। जिला मत्स्य पदाधिकारी धनराज आर. कापसे ने बताया कि पूरे झारखंड में मत्स्य उद्योग के विकास के लिए कुल सात प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है, जिनमें से अकेले पांच प्रोजेक्ट गढ़वा जिले से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि गढ़वा में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं और यहां बड़ी संख्या में मत्स्य पालक निवास करते हैं।
धनराज आर. कापसे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार गढ़वा जिले में मत्स्य पालकों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन वर्तमान में करीब सात हजार लोग ही आधिकारिक रूप से पंजीकृत हैं। यदि अधिक से अधिक मत्स्य पालक इस योजना से जुड़ते हैं तो झारखंड भी बड़े महानगरों की तर्ज पर मत्स्य उत्पादन और व्यवसाय के क्षेत्र में आगे बढ़ सकता है। उन्होंने मत्स्य पालकों से अपील की कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने व्यवसाय को विस्तार दें।
उन्होंने बताया कि जो लोग मत्स्य पालन के क्षेत्र में उद्यमी बनना चाहते हैं या समाज में युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से कुछ बड़ा करना चाहते हैं, उनके लिए भारत सरकार की फिशरीज इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (एफआईडीएफ) योजना खुली है। यह योजना ऐसे उद्यमियों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो बड़े स्तर पर मत्स्य पालन का कार्य शुरू करना चाहते हैं।
धनराज कापसे ने जानकारी दी कि एफआईडीएफ एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसके तहत उद्यमियों को पहले अपनी परियोजना की कार्ययोजना तैयार करनी होती है। इसके बाद पीएमओ की टीम द्वारा कार्ययोजना की स्क्रूटनी की जाती है। बजट और संभावित विकास को ध्यान में रखते हुए फंड का आवंटन किया जाता है। इस योजना के तहत न्यूनतम पांच प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है और सरकार 10 से 15 करोड़ रुपए तक का फंड उद्यमियों को मुहैया कराती है।
उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों के मुताबिक, झारखंड राज्य में करीब दो लाख मछुआरे पंजीकृत हैं। वहीं, गढ़वा जिले में मत्स्य पालन से जुड़ा समुदाय काफी बड़ा है। अनुमान है कि यहां एक लाख से अधिक मछुआरा समुदाय के लोग मतदाता सूची में पंजीकृत हैं, जो पीढ़ियों से मछली पालन का कार्य करते आ रहे हैं। गढ़वा और पलामू जैसे जिलों में इस समुदाय की संख्या विशेष रूप से अधिक है।
धनराज ने कहा कि मत्स्य विभाग के कार्यालय के माध्यम से पंजीकरण की बात करें तो वर्तमान में केवल लगभग 7,880 लोग ही मत्स्य पालन से संबंधित रूप से पंजीकृत हैं। यह विलुप्त हो रही आदिम जनजाति परिवारों के उत्थान की एक बड़ी पहल है। अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बड़े समुदाय को योजनाओं से जोड़ा जाए, तो न केवल मत्स्य उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे और झारखंड मत्स्य उद्योग के क्षेत्र में एक मजबूत पहचान बना सकेगा।
--आईएएनएस
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