नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। 1970 का दशक, यही वह समय था जब एक युवा नेता का उदय हुआ, जिसने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव जीतकर राजनीति के चुनौती भरे मैदान में कदम रखा था और छात्र नेता के रूप में आपातकाल के समय इंदिरा गांधी का विरोध करते हुए अपनी दमदार नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया। धीरे-धीरे वह समय आया, जब भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में एक नाम शुमार हुआ, अरुण जेटली का।
28 दिसंबर 1952 को जन्मे अरुण जेटली छात्र राजनीति और वकालत के रास्ते सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाले नेता थे, जिन्होंने देश के रक्षा और वित्त समेत अन्य अहम पदों की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने राजनीतिक मंच पर अपनी तार्किक और मजबूत दलीलों से हमेशा देशहित के लिए अपना पक्ष मजबूती से रखा।
'नई दुनिया है, नया दौर है, नई है उमंग, कुछ थे पहले के तरीके तो कुछ हैं आज के रंग ढंग, रोशनी आकर अंधेरों से जो टकराई है, कालेधन को भी बदलना पड़ा है आज अपना रास्ता,' अरुण जेटली के शेर भी विरोधियों की बोलती बंद कर देते थे।
जब पहली बार संसद में अरुण जेटली का जाना हुआ था, तब अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने उन्हें एक सलाह दी थी, और यह सलाह थी 'जब भी संसद में बोलो, मुद्दों पर ध्यान दो, न कि इंसानों पर।' अटल और आडवाणी के यही अनमोल वचन अरुण जेटली को देशहित के कामों के लिए प्रेरित करते रहे।
'एक टैक्स, एक बाजार और एक राष्ट्र' – यह अरुण जेटली की एक ऐसी सोच थी जिसने भारत की पूरी टैक्स व्यवस्था को ही बदलकर रख दिया। साल 2017 में केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकार थी और देश का खजाना अरुण जेटली को संभालने के लिए दिया जा चुका था, जिनकी शिल्पकारी ने आगे चलकर आजाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म किया।
जीएसटी से पहले के दौर में भारत के अंदर अप्रत्यक्ष टैक्स सिस्टम हुआ करता था। केंद्र और राज्य सरकार दोनों को ही कई तरह के टैक्स लगाने का हक था। कुल मिलाकर 17 तरह के कर लगाए जाते थे। इसका मतलब यह था कि एक उद्यमी को 17 निरीक्षकों, 17 रिटर्न और 17 आकलनों का सामना करना पड़ता था। कर की दरें बेहद अधिक थीं।
भारत कई अलग-अलग बाजारों में बंटा हुआ था। हर राज्य एक अलग बाजार था, क्योंकि कर की दरें अलग-अलग थीं। अंतर-राज्यीय व्यापार अक्षम था, क्योंकि ट्रकों को राज्य सीमाओं पर घंटों और कई बार दिनों तक रुकना पड़ता था। करदाताओं के सामने सिर्फ दो ही विकल्प होते थे, या तो ऊंचा कर दें या फिर कर चोरी करें। उस समय में बड़े पैमाने पर कर चोरी प्रचलित थी।
जीएसटी लागू होने के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई। सभी 17 करों को मिलाकर एक कर बना दिया गया। पूरा देश एक साझा बाजार बन गया। अंतर-राज्यीय बाधाएं खत्म हो गईं। एंट्री टैक्स समाप्त होने से शहरों में प्रवेश सुगम हो गया।
आज इसी रिफॉर्म ने अपने 8 साल के सफर में भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में लाकर खड़ा कर दिया है।
--आईएएनएस
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