जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोक कथा में छिपा है इसका कारण

जानें क्यों लगाते हैं लड्डू गोपाल को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग, लोककथा में छिपा है इसका कारण

नई दिल्ली, 16 अगस्त (आईएएनएस)। जब श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप भक्तों के मन में बसता है, तो शरीर का रोम-रोम खिल उठता है। उनके जन्मदिन के विशेष अवसर पर घर-घर में खास तैयारियां शुरू होने लगती हैं, झूला सजता है, शंखनाद होता है, और अपने लड्डू गोपाल के स्वागत के लिए 56 भोग बनाए जाते हैं।

56 भोग बनाने के पीछे का कारण एक लोकप्रचलित कथा में (जो भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से जुड़ी है) वर्णित है।

लोक कथा के मुताबिक, एक बार सारे बृजवासी इंद्रदेव को खुश करने के लिए पूजा की तैयारी में जुटे हुए थे। इन तैयारियों को कान्हा जी बड़ी ही ध्यान से देख रहे थे, तभी उन्होंने नंद बाबा से पूछा कि लोग इंद्रदेव की पूजा क्यों कर रहे हैं। इस पर नंद बाबा ने जवाब दिया कि वर्षा के लिए, इंद्रदेव प्रसन्न होंगे तभी तो अच्छी वर्षा करेंगे। इस पर कान्हा ने कहा कि वर्षा कराना तो इंद्रदेव का काम है, हमें तो गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गोवर्धन पर्वत के कारण ही हमें फल, सब्जियां और पशुओं को चारा मिलता है।

कृष्ण की बात लोगों को सही लगी और सभी गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे, लेकिन इस बात से इंद्रदेव को क्रोध आ गया और उन्होंने इतनी वर्षा कराई कि बृजवासी परेशान हो गए। इंद्रदेव के कहर से बृजवासियों की रक्षा करने के लिए कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठा लिया, जिसके बाद बृजवासियों ने अपने पशुओं के साथ पर्वत के नीचे शरण ली।

कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण पूरे 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर लिए खड़े रहे। जब इंद्रदेव को कृष्ण के दैवीय स्वरूप का आभास हुआ, तो उन्होंने आठवें दिन कृष्ण से माफी मांगी और वर्षा रोक दी।

इन सात दिनों तक कृष्ण ने बिना कुछ खाए-पिए पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठाए रखा। तब मां यशोदा ने अपने कान्हा के लिए 56 भोग तैयार किए थे, क्योंकि एक दिन में यशोदा अपने लाल को आठ बार भोजन कराती थी। ऐसे में 7 दिनों के आठ बार भोजन को जोड़कर 56 भोग तैयार किए गए और कृष्ण को खिलाया गया। कहा जाता है कि इसके बाद से ही कान्हा को छप्पन भोग चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

छप्पन भोग का मतलब 56 तरह के पकवान से होता है, जिनमें हर स्वाद और हर भावना छिपी होती है। ये व्यंजन 6 स्वादों को मिलाकर बनाए जाते हैं, जिनमें मीठा, नमकीन, खट्टा, तीखा, कड़वा और कसैला शामिल हैं।

---आईएएनएस

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