पटना, 19 अक्टूबर (आईएएनएस)। इस्लामपुर विधानसभा सीट बिहार के नालंदा जिले में स्थित है और यह नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में कई उतार-चढ़ाव देखे गए, और जातीय समीकरण के साथ-साथ इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व भी इसे खास बनाता है।
इस्लामपुर, नालंदा जिले का एक प्रमुख कस्बा है और इसे 'छोटी अयोध्या' के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे विशेष महत्व प्राप्त है, क्योंकि यहीं स्वामी युगलानन्य शरण जी महाराज, जो रामभक्ति शाखा में रसिक सम्प्रदाय के संस्थापक थे, का जन्म हुआ था।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में स्थापित इस्लामपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास रोचक रहा है। यह सीट कभी कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का गढ़ थी, लेकिन पिछले कुछ दशकों में जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू ने यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई।
अब तक कुल 5 बार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने चुनाव जीते हैं, जबकि कांग्रेस ने 4 और सीपीआई ने 3 बार जीत हासिल की। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट काफी दिलचस्प मोड़ पर थी, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहली बार इस सीट पर विजय हासिल की। राजद के उम्मीदवार राकेश रौशन ने जदयू के चंद्रसेन प्रसाद को हराकर यहां अपनी पार्टी की जीत दर्ज की।
इस्लामपुर विधानसभा सीट पर कुर्मी और यादव समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं, जो इस क्षेत्र के चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, रविदास, पासवान, मुस्लिम और कोइरी समुदाय के मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण संख्या है। इन जातीय समीकरणों का असर चुनावी नतीजों पर सीधा पड़ा है, और आगे भी यह निर्णायक साबित हो सकते हैं।
इस बार चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने रुहैल रोशन को उम्मीदवार बनाया है। वहीं राजद ने राकेश कुमार रौशन और जन सुराज पार्टी ने तनुजा कुमारी को अपना कैंडिडेट घोषित किया है।
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