दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान की आलोचना की है। इमाम उमर अहमद इलियासी ने अरशद मदनी के बयान को देश में डर और अशांति फैलाने वाला बताया और मांग की कि मौलाना को वापस लेना चाहिए।
इमाम उमर अहमद इलियासी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "अरशद मदनी के बयान की जितनी आलोचना की जाए, वह कम है। जिस तरह से उन्होंने यह बयान दिया है, उससे देश में डर का माहौल और अराजकता पैदा होने का अंदेशा है। उन्हें अपना बयान वापस लेना चाहिए और सच्चाई देश को बतानी चाहिए।"
उन्होंने अरशद मदनी को करारा जवाब देते हुए कहा, "भारत के मुसलमानों की तुलना अमेरिका और लंदन के मुसलमानों से नहीं की जा सकती है। भारत ने मुसलमानों के लिए राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश दिए।"
इस दौरान, उमर अहमद इलियासी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान सिविल सर्विस में सबसे ज्यादा मुसलमान आए हैं। अरशद मदनी पर उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ मुसलमानों को मिला है, जिसकी कभी उन्होंने तारीफ नहीं की।"
अल फलाह यूनिवर्सिटी पर मदनी के बयान पर भी उमर अहमद इलियासी ने पलटवार किया। इमाम ने कहा, "उन्हें (मदनी) आतंकवाद के विरोध में बयान देना चाहिए था। लाल किले के पास धमाका भारत नहीं, बल्कि उसकी आत्मा पर प्रहार था। इसका खुलकर विरोध करना चाहिए था, लेकिन अफसोस है कि आपने अल फलाह यूनिवर्सिटी के बारे में बयान दिया, जबकि तीन संदिग्ध लोग उसी यूनिवर्सिटी से पकड़े गए।"
इमाम उमर अहमद इलियासी ने 'बाबरी मस्जिद' विवाद पर भी प्रतिक्रिया दी और टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर के बयान को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, "अपने राजनीतिक फायदे के लिए धर्म या मस्जिद का इस्तेमाल करना पूरी तरह से गलत है। बाबर को दोबारा जिंदा करके देश के माहौल को खराब करने की साजिश है और इसमें कहीं न कहीं बांग्लादेश की बू आ रही है।"
इमाम ने इस प्रकरण की जांच की मांग भी उठाई।
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