नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती करने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए भी रेपो रेट को घटाने का रास्ता खुला गया है। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। यह बयान गुरुवार को एक्सपर्ट्स की ओर से दिया गया।
अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती गई है, जिसे वह घटकर 4 प्रतिशत से 4.25 प्रतिशत के बीच आ गई है। यह 2025 में पहला मौका है, जब ब्याज दरों में कटौती की गई है।
इस कटौती के ऐलान के साथ फेड ने चालू वर्ष में ब्याज दरों में दो और कटौती का संकेत दिया है।
इंडियाबॉन्ड्स.कॉम के सह-संस्थापक विशाल गोयनका ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में दरों में और कटौती की उम्मीद के साथ बॉन्ड में निवेश करने का यह अच्छा समय है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स में ग्लोबल इक्विटीज के प्रमुख अरिंदम मंडल के अनुसार, फेड की 25 आधार अंकों की कटौती उम्मीदों के अनुरूप थी, जो जरूरत पड़ने पर शेष वर्ष में दो और कटौती का संकेत देती है।
उन्होंने विस्तार से बताया, "नौकरी के आंकड़े अहम बने हुए हैं क्योंकि इस साल के अंत तक बेरोजगारी दर 4.5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति-केंद्रित टिप्पणी दिलचस्प थी क्योंकि उन्हें न केवल टैरिफ के कारण निकट भविष्य में कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है, बल्कि मुद्रास्फीति के भी 2 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद है, जो कि 2027 तक मुद्रास्फीति के लिए फेड का लक्ष्य है।"
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में प्राइम रिसर्च के प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा कि फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने बताया कि रोजगार बाजार को एक "अजीबोगरीब तरह के संतुलन" का अनुभव कर रहा है, जहां श्रमिकों की आपूर्ति और मांग दोनों में गिरावट आई है। उन्होंने अधिक छंटनी सहित संभावित नकारात्मक जोखिमों की चेतावनी भी दी।
विश्लेषकों ने कहा कि फेड के इस फैसले से भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ने की संभावना नहीं है।
उन्होंने कहा कि बाजार में जारी तेजी आय में सुधार की उम्मीदों और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणाम से प्रेरित है।
--आईएएनएस
एबीएस/