नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)। छोटे शहरों और कस्बों में ऑनलाइन ऑर्डर में उछाल के कारण भारत में क्विक कॉमर्स (क्यूसी) टोटल एड्रेसेबल मार्केट (टीएएम) 2030 तक 57 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
देश भर में क्विक कॉमर्स को तेजी से अपनाए जाने के बीच मॉर्गन स्टेनली ने अपने पहले के पूर्वानुमान 42 बिलियन डॉलर को अपडेट किया है। ग्लोबल ब्रोकरेज ने भारत में क्विक कॉमर्स सेगमेंट के लिए अपने ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (जीओवी) पूर्वानुमान को वित्त वर्ष 2026-2028 के लिए 9-11 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
ब्रोकरेज ने आने वाली तिमाहियों में इस सेक्टर के लिए प्रमुख कैटेलिस्ट की भी पहचान की, जिसमें क्विक कॉमर्स जीओवी में निरंतर वृद्धि, फूड डिलिवरी मार्जिन में निरंतर सुधार और एक स्थिर प्रतिस्पर्धी माहौल शामिल है।
ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, जेप्टो और फ्लिपकार्ट मिनट्स सहित क्विक कॉमर्स ऑपरेटर लगातार विस्तार कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इटरनल (पहले जोमैटो) का क्विक कॉमर्स बिजनेस मध्यम अवधि में लाभ कमाने की प्रोफाइल के साथ विकास के लिए तैयार है।
ब्रोकरेज ने कहा कि फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स दोनों में लीडरशिप पॉजिशन बरकरार रखते हुए इटरनल बढ़ते प्रोफिट पूल पर हावी होने के लिए तैयार है।
हाल ही में केपीएमजी प्राइवेट एंटरप्राइज के वेंचर पल्स के अनुसार, वैश्विक वीसी निवेश 2023 में 43,320 सौदों में 349.4 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 35,684 सौदों में 368.3 बिलियन डॉलर हो गया, क्योंकि क्विक-कॉमर्स इस साल भारत में निवेश का एक आकर्षक सेक्टर बना रहा।
ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स मूल्य में ट्रे़डिशनल और मॉडर्न ट्रेड चैनलों की तुलना में 2-3 गुना तेजी से बढ़े हैं, जिससे बाजार में प्रवेश करने के लिए एक बड़े ट्रे़डिशनल ट्रेड नेटवर्क की जरूरत कम हो गई है।
अप्रैल में बैन एंड कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल पेमेंट भी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, 45 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स लेनदेन के लिए डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं।
आरबीआई के अनुसार, "अर्थव्यवस्था में निजी अंतिम खपत एक उज्ज्वल स्थान में है, जो ई-कॉमर्स और क्यू-कॉमर्स द्वारा संचालित है।"
--आईएएनएस
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