मुंबई, 25 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय बाजार नियामक सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने शेयर बाजार में निवेश को आसान बनाने और निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए डुप्लिकेट सिक्योरिटीज सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया को और सरल बना दिया है।
एक सर्कुलर में सेबी ने आसान डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया के लिए लिमिट को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब जिन निवेशकों की खोई या खराब सिक्योरिटीज की कीमत 10 लाख रुपए तक है, उन्हें डुप्लिकेट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए कम दस्तावेज जमा करने होंगे।
सेबी ने यह बदलाव इसलिए किया है ताकि निवेशकों को कोई परेशानी न हो और कंपनियां भी सही तरीके से काम कर सकें।
नए नियमों के तहत, अब यदि सिक्योरिटीज की कीमत 10,000 रुपए तक है, तो निवेशकों को केवल साधारण कागज पर एक पत्र देना होगा। इसके अलावा, अब तक जो एफिडेविट और बांड के नोटरीकरण (प्रमाणित दस्तावेज) की जरूरत थी, वह भी 10,000 रुपए तक की सिक्योरिटीज के लिए नहीं होगी।
10 लाख रुपए तक की सिक्योरिटीज के लिए निवेशकों को सिर्फ एक एफिडेविट देना होगा, जो उचित गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर होगा।
जिन निवेशकों के पास 10,000 रुपए तक की सिक्योरिटीज हैं, वे केवल सादे कागज पर एक शपथ पत्र दे सकते हैं।
अगर सिक्योरिटीज की कीमत 10 लाख रुपए से ज्यादा है, तो निवेशकों को एफआईआर (पुलिस रिपोर्ट), पुलिस शिकायत, अदालत का आदेश या मुकदमे की प्रति जैसे दस्तावेज देने होंगे, जिनमें खोई हुई सिक्योरिटीज की जानकारी स्पष्ट रूप से दी गई हो।
जब सिक्योरिटीज की कीमत 10 लाख रुपए से अधिक हो, तो सूचीबद्ध कंपनी हफ्ते में एक बार इस नुकसान के बारे में समाचार पत्र में विज्ञापन भी प्रकाशित करेगी और मामूली शुल्क भी ले सकती है।
संशोधित नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं और ये लंबित आवेदनों पर भी प्रभावी होंगे। इसके अनुसार, अगर किसी निवेशक ने पहले ही आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए हैं, तो कंपनियां या रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (आरटीए) उनसे नए फॉर्मेट में दोबारा दस्तावेज मंगाने की मांग नहीं कर सकेंगे।
सेबी ने यह भी कहा कि अब से डुप्लिकेट सिक्योरिटीज केवल डिमैट (डिजिटल) रूप में दी जाएंगी, जिससे निवेशक सुरक्षित तरीके से अपना निवेश रख सकेंगे।
सेबी ने यह निर्देश दिया है कि सभी सूचीबद्ध कंपनियां और आरटीए इन नए नियमों का सख्ती से पालन करें।
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