नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य द्वारा लगाए गए इंटरनेट शटडाउन पर अपने दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बी.आर.गवई, दीपांकर दत्ता और अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि निपटाए गए मामले को सिविल आवेदन दायर करके दोबारा नहीं खोला जा सकता।
इसने टिप्पणी की कि उसे विविध आवेदन पर नोटिस जारी नहीं करना चाहिए था और याचिकाकर्ताओं को बताना चाहिए था कि यदि उसके फैसले को लागू नहीं किया जा रहा है तो अन्य उपाय भी मौजूद हैं।
इसने याचिकाकर्ताओं से कहा कि फैसला सुनाए जाने के बाद शीर्ष अदालत कार्यकुशल बन गई है।
याचिका पर विचार न करने की पीठ की इच्छा को भांपते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति देने की मांग की गई। तदनुसार, शीर्ष अदालत ने आवेदन को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया।
वरिष्ठ वकील नकुल दीवान और वकील वृंदा भंडारी और प्रतीक चड्ढा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए।
अनुराधा भसीन मामले में दिए गए अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि इंटरनेट को अनावश्यक रूप से निलंबित नहीं किया जा सकता और माना कि "इंटरनेट तक पहुंच" को मौलिक अधिकारों के तहत संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के बाद पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट तक पहुंच पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ याचिकाएं दायर होने के बाद इसने 15 दिशा-निर्देश दिए थे, जो मुख्य रूप से इंटरनेट तक पहुंच में बाधा डालने वाले मुद्दों को संबोधित करने पर केंद्रित थे।
--आईएएनएस
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