मुंबई, 23 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जानकारी देते हुए बताया कि देश का फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स (एफआई इंडेक्स) मार्च 2025 में बढ़कर 67 हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
केंद्रीय बैंक के बयान के अनुसार, मार्च 2024 में यह इंडेक्स 64.2 पर था।
आरबीआई ने एक रिलीज में कहा, "मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए इंडेक्स संकलित किया गया है। मार्च 2025 के लिए एफआई-इंडेक्स का मूल्य 67 है, जबकि मार्च 2024 में यह 64.2 था। इसमें सभी उप-सूचकांकों जैसे पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता में वृद्धि देखी गई है।"
एफआई-इंडेक्स आरबीआई द्वारा विकसित एक मापक है, जो यह ट्रैक करता है कि देश भर में लोगों तक वित्तीय सेवाएं कितनी अच्छी तरह पहुंच रही हैं।
यह बैंकिंग, बीमा, निवेश, पेंशन और डाक सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़ों का उपयोग कर फाइनेंशियल इंक्लूजन के स्तर को दर्शाता है।
यह इंडेक्स 0 से 100 तक होता है, जहां 0 का अर्थ पूर्ण वित्तीय बहिष्करण और 100 का अर्थ पूर्ण वित्तीय समावेशन है।
आरबीआई के अनुसार, इस वर्ष के इंडेक्स में सुधार मुख्य रूप से वित्तीय सेवाओं के उपयोग और गुणवत्ता में बेहतर प्रदर्शन के कारण हुआ है।
इससे पता चलता है कि न केवल अधिक लोग वित्तीय उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि वे बेहतर सेवा गुणवत्ता का भी लाभ उठा रहे हैं।
आरबीआई ने सकारात्मक परिणामों के लिए वित्तीय शिक्षा और जागरूकता अभियानों में चल रहे प्रयासों को भी श्रेय दिया।
फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स वर्ष में एक बार प्रकाशित होता है और इसे पहली बार अगस्त 2021 में पेश किया गया था, जिसमें मार्च 2021 को समाप्त होने वाले वर्ष के आंकड़े शामिल थे।
यह इंडेक्स तीन मुख्य मापदंडों पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता पर आधारित है, जिनका अलग-अलग भार होता है जैसे पहुंच 35 प्रतिशत, उपयोग 45 प्रतिशत और गुणवत्ता 20 प्रतिशत।
आरबीआई ने सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से इस इंडेक्स विकसित किया है ताकि वित्तीय प्रणाली की समग्रता का व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके।
एफआई-इंडेक्स में नवीनतम वृद्धि भारत भर में लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं को अधिक सुलभ और उपयोगी बनाने की दिशा में निरंतर प्रगति को दर्शाती है।
--आईएएनएस
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