नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। वित्तीय सेवा विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को ग्राहक सेवा में संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग पर भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है। यह जानकारी सरकार की ओर से मंगलवार को दी गई।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ग्राहक सेवाओं पर बैंकों को जारी दिशानिर्देश, क्षेत्रीय भाषाओं के प्रयोग पर व्यापक निर्देश प्रदान करते हैं जिससे बैंक क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुसार अपनी सेवा प्रदान कर सकें। साथ ही, बैंकों को शाखाओं के सामान्य प्रबंधन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाने का भी सलाह दी गई है।
उन्होंने आगे कहा कि इसमें अन्य बातों के साथ-साथ, सभी काउंटरों पर संकेतक बोर्ड प्रदर्शित करना, ग्राहकों को बैंक में उपलब्ध सेवाओं और सुविधाओं के सभी विवरणों वाली पुस्तिकाएं प्रदान करना, खुदरा ग्राहकों द्वारा उपयोग किए जाने वाली सभी मुद्रित सामग्री जैसे कि खाता खोलने के फॉर्म, भुगतान पर्ची, पासबुक आदि उपलब्ध कराना, ग्राहक निवारण आदि को हिंदी, अंग्रेजी और संबंधित क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध कराना शामिल है।
सरकार ने कहा कि बैंकों के पास क्षेत्रीय भाषाओं में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने और सहायता प्रदान करने के लिए बहुभाषी संपर्क केंद्र और डिजिटल चैनल होना चाहिए।
इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक ने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) को भेजे पत्र में फिर से कहा है कि ग्राहकों को सभी पत्र-व्यवहार अनिवार्य रूप से त्रिभाषी प्रारूप - हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा में जारी किए जाने चाहिए। साथ ही, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को भेजे अपने पत्र में सुझाव दिया है कि वे स्थानीय ग्राहकों के साथ उनकी स्थानीय भाषा में, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी केंद्रों में, प्रभावी संचार सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय बैंक अधिकारियों (एलबीओ) की भर्ती के लिए एक नीति बना सकते हैं, और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा इसका सक्रिय रूप से पालन किया जा रहा है।
वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ग्राहक सेवा का कार्य मुख्य रूप से ग्राहक सेवा सहयोगियों (सीएसए) द्वारा किया जाता है, जहां भर्ती प्रक्रिया के दौरान, सीएसए को अब उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ( जहां कर्मचारी तैनात होंगे) की आधिकारिक भाषा के लिए एक स्थानीय भाषा प्रवीणता परीक्षा (एलपीटी) उत्तीर्ण करनी होगी। इससे क्षेत्रीय भाषाओं में निर्बाध संचार की सुविधा मिलेगी।
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