नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)। सरकार देश को अगली पीढ़ी की कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में ग्लोबल लीडर बनाने के लिए लगातार कदम उठा रही है। यह जानकारी रविवार को जारी किए गए आधिकारिक आंकड़ों में दी गई।
5जी के तेज रोलआउट और एडॉप्शन के बाद सरकार, अब अपने "भारत 6जी विजन" के तहत 6जी तकनीक विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसका उद्देश्य 2030 तक भारत को एडवांस्ड टेलीकॉम इनोवेशन हब बनाना है।
सरकार के अनुसार, भारत का 6जी विजन अफोर्डेबिलिटी, स्थिरता और यूनिवर्सल एक्सेस के सिद्धांतों पर आधारित है।
इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक को हाई स्पीड की कनेक्टिविटी का लाभ मिले और साथ ही स्वदेशी रिसर्च, इनोवेशन और वैश्विक भागीदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा मिले।
यह पहल 2047 तक 'विकसित भारत' के निर्माण के राष्ट्रीय लक्ष्य से गहराई से जुड़ी हुई है।
5जी के बाद, छठी पीढ़ी या 6जी तकनीक वायरलेस कम्युनिकेशन में अगली बड़ी एडवांसमेंट होगी। यह 5जी से 1,000 गुना तेज होने की उम्मीद है और इससे डेटा ट्रांसफर में तेजी आएगी।
यह रिमोट सर्जरी, एडवांस्ड रोबोटिक्स, स्मार्ट सिटी और इमर्सिव वर्चुअल अनुभव जैसे रीयल-टाइम एप्लीकेशन को आगे बढ़ाने का काम करेगा।
भारत के 6जी रोडमैप में वर्ष 2035 तक राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र द्वारा लगभग 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। देश का लक्ष्य वैश्विक 6जी पेटेंट्स में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त करना है, जो कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत के इनोवेशन के केंद्र के रूप में उभरने को दर्शाता है। इसके समानांतर, सैटेलाइट कम्युनिकेशन बाजार के वर्ष 2033 तक तीन गुना बढ़ने का अनुमान है, जिससे भारत का अंतरिक्ष-आधारित कनेक्टिविटी इकोसिस्टम मजबूत होगा।
भारत 6जी एलायंस, दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष जैसी पहलों और वैश्विक अनुसंधान संस्थानों के साथ सक्रिय साझेदारियों के माध्यम से, भारत लगातार एक टेक्नोलॉजी अपनाने वाले देश से एक टेक्नोलॉजी निर्माता और मानक-निर्धारक देश बनने की ओर बढ़ रहा है।
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