नई दिल्ली, 8 नवंबर (आईएएनएस)। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा शनिवार को दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्र ने एक समृद्ध और समावेशी समुद्री अर्थव्यवस्था की दिशा में 'विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में मत्स्य पालन के सस्टेनेबल उपयोग' के नियमों को पेश किया है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, नए नियम गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के कार्यों को करने और तकनीकी रूप से एडवांस जहाजों के प्रबंधन के लिए मछुआरा सहकारी समितियों और मत्स्यपालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) को प्राथमिकता देते हैं।
ईईजेड नियम वैल्यू एडिशन, ट्रेसिबिलिटी और सर्टिफिकेशन पर जोर देते हुए गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की सुविधा प्रदान करने के साथ समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ाने में भी योगदान देंगे।
मंत्रालय के अनुसार, भारत के ईईजेड क्षेत्र के 49 प्रतिशत हिस्से, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप के द्वीप क्षेत्रों में विशाल और छोटे जहाजों के इस्तेमाल से उच्च गुणवत्ता वाली मछली के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
ईईजेड नियमों को लेकर कहा गया है कि ये नियम समुद्री इकोसिस्टम की रक्षा और मछली पकड़ने के समान अवसरों को सुनिश्चित करने के लिए एलईडी लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसी हानिकारक मछली पकड़ने के तरीकों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हैं।
ईईजेड नियमों के तहत, मशीनीकृत और बड़े आकार के मोटर चालित जहाजों के लिए एक्सेस पास जरूरी होगा, जिसे ऑनलाइन रीएएलसीराफ्ट पोर्टल के जरिए मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है।
इसके अलावा, मोटर चालित या गैर-मोटर चालित मछली पकड़ने वाले जहाजों का संचालन करने वाले पारंपरिक और छोटे पैमाने के मछुआरों को एक्सेस पास प्राप्त करने से छूट दी गई है।
मंत्रालय के अनुसार, ये नियम छोटे पैमाने के मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए भारतीय ईईजेड में अवैध मछली पकड़ने की प्रथाओं को रोकने के लिए अवैध, बिना सूचित और अनियमित (आईयूयू) मत्स्य पालन पर एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार करने का प्रावधान करते हैं।
सरकार की ओर से मछुआरों और उनकी सहकारी समितियों/एफएफपीओ को सहायता प्रदान करते हुए ट्रेनिंग प्रोग्राम, अंतरराष्ट्री अनुभव दौरे की सुविधा दी जाएगी।
--आईएएनएस
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