नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने रविवार को कहा कि वेतन संहिता, 2019 उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और शोषण से सुरक्षा जैसे उपायों के जरिए कर्मचारियों के हितों की रक्षा करती है और कार्यस्थल पर सम्मान और स्थिरता सुनिश्चित करती है।
वेतन संहिता, 2019, उन चार श्रम संहिताओं में से एक है, जिन्हें अधिनियमित किया गया है। इसमें में वेतन और भुगतान संबंधी चार श्रम कानूनों, वेतन भुगतान अधिनियम, 1936, न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 शामिल हैं। यह श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और नियोक्ताओं के लिए अनुपालन को आसान बनाने के बीच तालमेल स्थापित करती है। यह संहिता श्रम विनियमन को सुव्यवस्थित और मजबूत बनाने के लिए प्रमुख सुधार है।
साथ ही, यह प्रमुख शब्दों की परिभाषाओं का मानकीकरण करती है, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करती है, अस्पष्टता को कम करती है और नियोक्ताओं के लिए तेज, समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करती है।
सरकार ने आगे कहा कि यह समान वेतन और प्रतिनिधित्व के जरिए महिला श्रमिकों का भी समर्थन करती है और समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देती है। सभी श्रमिकों के लिए उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, यह उत्पादकता और श्रम कल्याण को बढ़ावा देती है।
वेतन संहिता, 2019 की धारा 5, सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन का वैधानिक अधिकार स्थापित करती है, और इसके दायरे में संगठित और असंगठित, दोनों क्षेत्र शामिल हैं। इससे पहले, न्यूनतम वेतन केवल अनुसूचित रोजगारों पर लागू होता था, जो करीब 30 प्रतिशत कार्यबल को कवर करता था।
संहिता के नियम 6 के साथ धारा 13, कर्मचारियों से बिना पर्याप्त पारिश्रमिक के अत्यधिक काम लेने से रोकने के लिए सामान्य कार्य घंटों को सीमित करती है। यदि कर्मचारी सप्ताह में 6 दिन से कम काम करता है, तो कार्य अवधि सप्ताह में 48 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। जहां काम करने के दिनों में ढील की स्थिति दी गई है, तो वहां कार्य अवधि एक दिन में 12 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसमें विश्राम के लिए अंतराल भी शामिल है।
वेतन संहिता, 2019 की धारा 3 के अनुसार, कर्मचारियों द्वारा किए गए समान या समान कार्य के लिए भर्ती, वेतन या रोजगार की शर्तों के मामले में लिंग के आधार पर, जिसमें ट्रांसजेंडर पहचान भी शामिल है, कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। लिंग के आधार पर अनुचित वेतन असमानताओं को दूर किया जाएगा और समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाएगा।
वेतन संहिता, 2019 भारत के श्रम बाजार में निष्पक्षता, समता और समावेशिता को बढ़ावा देती है। समान वेतन मानकों और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करके, यह श्रमिकों के अधिकारों और नियोक्ताओं, दोनों के हितों की रक्षा करती है। कुल मिलाकर, यह आर्थिक न्याय व्यवस्था को मजबूत करती है, औपचारिकता को प्रोत्साहित करती है और श्रम की गरिमा को बढ़ाती है।
--आईएएनएस
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