नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। भारत की सरकारी नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस में आने वाले एक और दो वर्षों में मजबूत ग्रोथ दिखेगी और यह देश के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभाएंगी। एसएंडपी ग्लोबल की ओर से सोमवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स में क्रेडिट एनालिस्ट दीपाली सेठ-छाबड़िया ने कहा कि वित्तीय सर्विसेज भारत के चार अहम रणनीतिक सेक्टरों में से एक हैं। इस कारण सरकार के समर्थन से सार्वजनिक संस्थाओं (जीआरई) को अधिक फायदा होगा।
उन्होंने कहा, "यह खास तौर पर उन जीआरई के लिए है जो नीतिगत भूमिका निभाती हैं। हमारे विचार में सरकार से जुड़ा होना संबंध वित्तीय मजबूती, सस्ती फंडिंग तक पहुंच और एसेट क्वालिटी सपोर्ट के लिए एक सिस्टम प्रदान करता है।"
एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट में बताया गया, "भारत के वित्तीय क्षेत्र में जीआरई का दबदबा है। कई नॉन-बैंक जीआरई ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं जो राष्ट्रीय हित के अनुरूप है। अगले दो वर्षों में वित्तीय जीआरई के लिए लोन वृद्धि लगभग 15 प्रतिशत प्रति वर्ष रहने की उम्मीद है, जिसे रणनीतिक क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने से सहायता मिलेगी।"
रिपोर्ट में बताया गया कि सरकारी एनबीएफसी कंपनियों जैसे नेशनल बैंक ऑफ फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) में कम बेस के कारण हाई ग्रोथ देखने को मिल सकती है।
रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई कि सेक्टर की क्रेडिट कॉस्ट बढ़ेगी। इसकी वजह लोन सीजन, रिकवरी में कमी आना और अतिरिक्त प्रोविजन का लाभ समाप्त होना है।
रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर उधारकर्ताओं को लोन देने के कारण पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन, आरईसी और आईआरईडीए के मार्जिन में सुधार होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, विकास केंद्रित सरकारी एनबीएफसी कंपनियों की आय में नरमी रहेगी। इसमें स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी), नाबार्ड और नेशनल हाउसिंग बोर्ड (एनएचबी), इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी) और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एक्जिम) का नाम शामिल है।
--आईएएनएस
एबीएस/