नई दिल्ली, 27 अगस्त (आईएएनएस)। हाल ही में अमेरिका की ओर से टैरिफ बढ़ोतरी का भारत के कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार पर मामूली असर होने की संभावना है। इसकी वजह कॉरपोरेट्स का आधार मजबूत होना और घरेलू फंडिंग तक आसान पहुंच होना है। यह जानकारी बुधवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।
बार्कलेज रिसर्च ने एक नोट में कहा कि भारतीय निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से हाई-ग्रोड के क्रेडिट में कुछ वृद्धि देखने को मिल सकती है, लेकिन भारतीय कॉरपोरेट क्रेडिट मजबूत रहेगा।
रिसर्च फर्म ने कहा कि बुधवार से भारत पर अमेरिकी टैरिफ की दर बढ़कर 50 प्रतिशत हो गई है, जिससे भारतीय निर्यात पर यूएस ट्रेड-वेटेड टैरिफ रेट बढ़कर 35.7 प्रतिशत हो गया है, जो कि पहले 20.6 प्रतिशत और 2025 की शुरुआत में 2.7 प्रतिशत था।
वहीं, भारत का अमेरिकी उत्पादों पर औसत टैरिफ 9.4 प्रतिशत है।
बार्कलेज रिसर्च ने कहा कि 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ से स्मार्टफोन, पेट्रोलियम और फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट्स को छूट दी गई है। वहीं, जेम एंड ज्वेलरी, कपड़ा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे सेक्टर्स पर इसका असर होगा।
नोट में कहा गया है कि निर्यात में आई गिरावट के बावजूद, कॉरपोरेट क्रेडिट पर प्रभाव सीमित रहने का अनुमान है।
इससे पहले, विदेश विभाग ने कहा कि अमेरिका और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों ने वर्चुअल बातचीत की है, जहां उन्होंने "द्विपक्षीय पहलों को आगे बढ़ाया" और टैरिफ एवं मध्यस्थता के दावों पर तनाव के बीच व्यापार पर चर्चा की।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और ट्रेंड अधिकारियों द्वारा की गई तीखी टिप्पणियों के विपरीत, सोमवार को आयोजित वर्चुअल अमेरिका-भारत 2+2 अंतर-सत्रीय वार्ता के अमेरिकी रीडआउट में भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य के लिए सकारात्मक रुख दिखाया गया।
विदेश मंत्रालय ने भी एक रीडआउट में अमेरिकी बयान को दोहराया।
बयानों में अधिकारियों ने दोनों देशों की "द्विपक्षीय संबंधों की व्यापकता और गहराई को इस तरह से बढ़ाने की इच्छा" व्यक्त की, जिससे अमेरिका और भारत के लोगों को लाभ हो।
रीडआउट में शामिल विषयों में महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सुरक्षा, असैन्य-परमाणु सहयोग को बढ़ावा देना, मादक पदार्थ को रोकने और आतंकवाद को खत्म करने के लिए सहयोग आदि शामिल थे।
--आईएएनएस
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