नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत के ऑटो सेक्टर में 2025 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर अवधि) में रिकॉर्ड 4.6 अरब डॉलर की डील हुई हैं और इस दौरान कुल 30 लेनदेन हुए हैं। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार, यह उछाल मुख्य रूप से टाटा मोटर्स द्वारा इवेको एस.पी.ए. के 3.8 अरब डॉलर के अधिग्रहण से आया था, जो 2025 की तीसरी तिमाही में कुल विलय और अधिग्रहण (एम एंड ए) मूल्य का 95 प्रतिशत था।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑटो सेक्टर में इस तिमाही में वैश्विक विस्तार, विद्युतीकरण और आपूर्ति श्रृंखला के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव देखा गया। रणनीतिक अधिग्रहणकर्ताओं और निजी निवेशकों, दोनों ने भविष्य के लिए तैयार मोबिलिटी प्लेटफॉर्म पर ध्यान केंद्रित किया।
रिपोर्ट के अनुसार, तिमाही आधार पर वॉल्यूम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। यह सितंबर तिमाही में जून तिमाही के करीब ही रही हैं।
विलय और अधिग्रहण गतिविधियां में क्रॉस बॉर्डर कंसोलिडेशन की संख्या अधिक रही, जबकि प्राइवेट इक्विटी (पीई) का फोकस टेक सेगमेंट जैसे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, फ्लीट मोबिलिटी और मोबिलिटी-एस-ए-सर्विस (एमएएएस) पर रहा।
2025 की तीसरी तिमाही में विलय और अधिग्रहण की कुल सात डील हुई हैं, जिनकी वैल्यू 4.1 अरब डॉलर था। इस दौरान वैल्यू में दूसरी तिमाही के मुकाबले 1,234 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। वहीं, कुल डील में क्रॉस बॉर्डर की हिस्सेदारी 71 प्रतिशत थी और वैल्यू में 99 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।
समीक्षा अवधि के दौरान, प्राइवेट इक्विटी ने 531 मिलियन डॉलर की 23 डील की है। इसमें से 70 प्रतिशत डील 10 मिलियन डॉलर से कम की थीं।
इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) द्वारा समर्थित इलेक्ट्रिक बस ऑपरेटरों में 137 मिलियन डॉलर के निवेश ने शहरी विद्युतीकरण और मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेशकों का विश्वास और मजबूत किया है।
2025 की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक बाजार की गतिविधियां धीमी रहीं, और कोई बड़ा आईपीओ या क्यूआईपी दर्ज नहीं किया गया। हालांकि, निवेशकों का ध्यान 2026 में अपेक्षित टोयोटा आईपीओ पर बना हुआ है, जिससे निवेश प्रवाह को नया रूप मिलने और सेक्टरोल रुचि में नई जान आने की उम्मीद है।
--आईएएनएस
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