एशिया प्रशांत क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण एक्टिविटी में सुस्ती के बीच भारतीय कंपनी ने जून में तीसरा सबसे बड़ा सौदा किया

एशिया प्रशांत क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण एक्टिविटी में सुस्ती के बीच भारतीय कंपनी ने जून में तीसरा सबसे बड़ा सौदा किया

नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। एशिया प्रशांत क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) एक्टिविटी में पूरे वर्ष उतार-चढ़ाव रहा और जून में इसमें गिरावट आई क्योंकि डीलमेकर्स वैश्विक व्यापार वार्ताओं पर स्पष्टता का इंतजार कर रहे थे। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

इस बीच, एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार, भारत में टोरेंट फार्मास्युटिकल्स द्वारा जेबी केमिकल्स एंड फार्मास्युटिकल्स में अल्पमत हिस्सेदारी का 1.39 अरब डॉलर में अधिग्रहण जून का एशिया प्रशांत क्षेत्र का तीसरा सबसे बड़ा सौदा था।

भारत के दो सौदे जून में टॉप 10 सबसे बड़े सौदों की सूची में शामिल हुए।

एशिया प्रशांत क्षेत्र में एमएंडए डील का कुल मूल्य जून में सालाना आधार पर 21.3 प्रतिशत घटकर 28.87 अरब डॉलर रह गया।

हालांकि, सौदों की संख्या 13.2 प्रतिशत बढ़कर 834 हो गई। यह गिरावट मई में 57.4 प्रतिशत की वृद्धि के बाद आई है। मासिक आधार पर, जून में कुल सौदों का मूल्य 32.1 प्रतिशत गिर गया, जबकि सौदों की संख्या 12.2 प्रतिशत बढ़ी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार संबंधी चिंताओं के कारण 28 प्रतिशत एशियाई उत्तरदाताओं की रुचि एमएंडए में अधिक थी।

रिपोर्ट में कहा गया है, "एशियाई सौदाकर्ता सौदों से पीछे हटने के बजाय, उनके अनुरूप ढल रहे हैं।यह किसी भी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र की तुलना में सबसे अधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया थी, जो दर्शाता है कि कई एशियाई कंपनियों ने इस व्यवधान को एक अवसर के रूप में देखा।"

रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय निजी इक्विटी फर्म दक्षिण-पूर्व एशिया में मध्यम-बाजार सौदों में धन लगाने के लिए उत्सुक हैं, जबकि बड़े अंतरराष्ट्रीय फंड पूर्वी एशिया में बड़े लक्ष्यों की तलाश में हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें निजी इक्विटी सौदे और विकास निवेश शामिल हैं, जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया में पारिवारिक व्यवसायों का अधिग्रहण, जापान में कार्व-आउट या भारतीय प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में विकास इक्विटी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अप्रैल में रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणाओं ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया।

23 जुलाई को, अमेरिका और जापान के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें अमेरिका में जापानी आयात पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाना शामिल था।

इस समझौते के तहत अमेरिका में 550 अरब डॉलर के जापानी निवेश की अनुमति दी गई। अगले सप्ताहांत तक, अमेरिका और यूरोपीय संघ सभी यूरोपीय संघ के सामानों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर सहमत हो गए, जो ट्रंप द्वारा लागू करने की धमकी दी गई 30 प्रतिशत आयात कर दर का आधा था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्लेषकों का अनुमान है कि 2025 की दूसरी छमाही में वैश्विक विकास धीमा हो जाएगा।

--आईएएनएस

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