नई दिल्ली, 21 अक्टूबर (आईएएनएस) भारत ने अपने निर्यात बाजार में विविधता लाने में सफलता प्राप्त की है, जिससे यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 20 से अधिक देशों को होने वाले निर्यात में सालाना आधार पर वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, इससे देश को अमेरिकी टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।
यह चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान भारत के व्यापारिक निर्यात में 9 प्रतिशत की वृद्धि में दिखाता है।
हाल ही में अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि के बावजूद भारत का निर्यात प्रदर्शन मजबूत बना हुआ है। सितंबर में व्यापारिक निर्यात में सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका प्रमुख कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पादों जैसी उच्च मूल्य वाली वस्तुओं के निर्यात में मजबूत वृद्धि होना है।
जिन 24 देशों को भारतीय निर्यात में वृद्धि हुई है, उनमें जर्मनी, बेल्जियम, इटली, पोलैंड, दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, इराक, मिस्र, रूस, कनाडा, मेक्सिको, ब्राजील, केन्या, नाइजीरिया, तंजानिया, थाईलैंड, वियतनाम और श्रीलंका का नाम शामिल हैं।
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2025-26 में इन देशों को निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई और कारोबार 129.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो भारत के कुल निर्यात का 59 प्रतिशत है।
यूके और यूरोप के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) से देश के निर्यात बाजार में इस विविधीकरण को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण सितंबर में अमेरिका को भारत का व्यापारिक निर्यात 11.93 प्रतिशत घटकर 5.46 अरब डॉलर रह गया।
भारत और अमेरिका मौजूदा गतिरोध से बाहर निकलने के लिए एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए भी बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों ने टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए अपनी व्यापार वार्ता में कुछ प्रगति की है, जबकि नई दिल्ली ने कहा है कि वह जल्दबाजी में कोई समझौता नहीं करेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत के व्यापार प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारियों के साथ ट्रेड डील के लिए बैठकें कीं।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अमेरिका के साथ बातचीत "बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल" में आगे बढ़ रही है, लेकिन ये बातचीत समय सीमा पर आधारित नहीं हैं।
मंत्री ने कहा, "जब तक हम भारत के किसानों, मछुआरों और देश के एमएसएमई क्षेत्र के हितों को पूरी तरह से संबोधित नहीं करते, तब तक कोई समझौता नहीं होगा।"
--आईएएनएस
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