नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम 2025 की तीसरी तिमाही के अंत तक 1.5 ट्रिलियन डॉलर दर्ज किया गया है। डील एक्टिविटी में धीमी गति के बावजूद ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी निवेश इस आंकड़े तक पहुंच गया है। यह जानकारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई।
ग्लोबल कंसल्टेंसी केपीएमजी की रिपोर्ट का अनुमान है कि यह गति अगर चौथी तिमाही में भी जारी रहती है तो ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी डील वॉल्यूम चार वर्षों के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच सकता है।
डील एक्टिविटी को लेकर रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 की पहली तीन तिमाहियों में 15,083 डील 2025 की पहली तीन तिमाहियों में घटकर 13,574 हो गईं।
रिपोर्ट बताती है कि भारत मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल्स और बढ़ती घरेलू खपत के कारण वैश्विक निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की तीसरी तिमाही में ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी निवेश 537.1 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था, जो कि बीते वर्ष 2024 की समान अवधि में 512 बिलियन डॉलर था। हालांकि, एक वर्ष की अवधि में डील की संख्या 5032 से घटकर 4062 रह गईं।
वहीं, 2025 की तीसरी तिमाही की बात करें तो भारत में प्राइवेट इक्विटी निवेश 14.9 बिलियन डॉलर रहा था, जो कि 2024 की समान अवधि के 26.3 बिलियन डॉलर से काफी कम है। जबकि डील की संख्या भी 289 से घटकर 217 रह गई। इस गिरावट का मुख्य कारण भू-राजनैतिक और व्यापार से जुड़ी अनिश्चितता रहा। इसका एक कारण अमेरिकी टैरिफ भी रहा।
केपीएमजी का कहना है कि निवेशकों का सेंटीमेंट अभी भी सकारात्मक बना हुआ है। इसी के साथ कई ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्में भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ा रही हैं।
टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर से लेकर फाइनेंशियल सर्विसेज और स्पेशलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग तक मैच्योर होता इकोसिस्टम इंडिया-फोकस्ड फंड्स के बढ़ते साइज और कैपिटल अट्रैक्ट करने वाले सेक्टर्स की बढ़ती रेंज में दिखता है।
--आईएएनएस
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