गिर सोमनाथ, 16 दिसंबर (आईएएनएस)। गिर सोमनाथ जिले के कोडिनार तालुका का मितियाज गांव अपनी अनोखी और लोगों के अनुकूल पहल के कारण पूरे गुजरात में चर्चा का विषय बन गया है।
राज्य में अपनी तरह की पहली पहल में, मिटियाज ग्राम पंचायत का ऑफिस अब रात में भी काम करता है, जिससे काम करने वाले गांव वालों के लिए सरकारी काम ज्यादा आसान हो गया है।
यह पहल गांव के सरपंच सुरपाल सिंह बराड़ ने की है। गांव वालों को बहुत राहत मिली है, क्योंकि उन्होंने पंचायत ऑफिस को रात 8:30 बजे से 10:00 बजे तक खुला रखने का फैसला किया है।
यह फैसला लेते समय उन्होंने गांव वालों की रोजाना की दिनचर्या को ध्यान में रखा, क्योंकि उनमें से ज्यादातर लोग खेती और दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। और, दिन में काम की वजह से, गांव वालों को अक्सर सुबह के समय पंचायत ऑफिस जाने में मुश्किल होती थी।
आईएएनएस से बात करते हुए, गांव वालों ने कहा कि पंचायत के रात में काम करने से उन्हें काफी राहत मिली है। ऑफिस के रात के शेड्यूल से वे दिन की मजदूरी गंवाए बिना जरूरी सरकारी काम पूरे कर पा रहे हैं। ललितभाई वाला, जशूभाई बराड़ और मयूरभाई बराड़ सहित गांव वालों ने इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने इस फैसले को एक सोचा-समझा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण मजदूरों की जरूरतों को सही मायने में समझता है।
इस पहल को और भी असरदार यह बात बनाती है कि सरपंच सुरपाल सिंह बराड़ खुद रात के समय पंचायत ऑफिस में मौजूद रहते हैं, गांव वालों की शिकायतें सुनते हैं और उनकी समस्याओं का जल्द समाधान सुनिश्चित करते हैं।
इस पहल के बारे में बात करते हुए, सरपंच सुरपाल बराड़ ने कहा कि इसका मकसद शासन को ज्यादा समावेशी और सुलभ बनाना था।
उन्होंने कहा, "ज्यादातर गांव वाले दिन में अपनी रोजी-रोटी कमाने में व्यस्त रहते हैं। रात में ऑफिस खोलकर, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई भी जरूरी सेवाओं से वंचित न रहे।"
ग्राम पंचायत ऑफिस के जरिए कई जरूरी सेवाएं दी जाती हैं, जिनमें राशन कार्ड, आधार से जुड़े काम, सुकन्या समृद्धि योजना, आयुष्मान कार्ड, विधवा पेंशन, बुढ़ापा पेंशन और राज्य और केंद्र सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं।
पहले, काम के घंटों के दौरान इन सेवाओं का लाभ उठाना कई लोगों के लिए एक चुनौती थी।
इस नए कदम के साथ, मिटियाज ग्राम पंचायत गुजरात की पहली ऐसी पंचायत बन गई है जो रात में काम करती है, और राज्य की दूसरी पंचायतों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है।
यह पहल दिखाती है कि जमीनी स्तर पर छोटे, सोचे-समझे बदलाव शासन को कैसे ज़्यादा जवाबदेह और लोगों पर केंद्रित बना सकते हैं।
--आईएएनएस
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