नई दिल्ली, 25 नवंबर (आईएएनएस)। अर्ली मानसून और हाई बेस इफैक्ट को देखते हुए बिजली की मांग चालू वित्त वर्ष में 1.5-2 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है, जो कि पिछले अनुमान 4-4.5 प्रतिशत से कम है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुमान के अनुसार, रिन्यूएबल एनर्जी के नेतृत्व में भारत ने वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में अपनी बिजली क्षमता एडिशन को 25.7 गीगावाट के साथ डबल कर लिया है और इस वित्त वर्ष में 45-50 गीगावाट तक पहुंचने की राह पर अग्रसर है।
पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन डेटा के अनुसार, इस वर्ष नवंबर के पहले 10 दिनों में भारत की बिजली मांग सालाना आधार पर 3 प्रतिशत गिर गई है।
आईसीआरए लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट अंकित जैन ने कहा, "चालू वित्त वर्ष में अर्ली मानसून और हाई बेस इफेक्ट ने मांग में वृद्धि को स्थिर बनाए रखा, जिसमें पहले 7 महीनों में ग्रोथ फ्लैट रही है। इस स्लोडाउन को देखते हुए पूरे वर्ष के लिए डिमांड ग्रोथ का अनुमान रिवाइज किया गया है। इसके साथ सर्दियों में कुछ सीजनल रिकवरी का भी अनुमान है।"
भारत की बिजली क्षमता एडिशन को लेकर वृद्धि रिन्यूएबल एनर्जी सेगमेंट के चलते देखी जा रही थी, जिसे डेवलपर्स ने 30 जून, 2025 को ट्रांसमिशन चार्ज पर पूरी छूट खत्म होने से पहले प्रोजेक्ट्स को जल्दी शुरू करने में मदद की।
मजबूत आरई प्रोजेक्ट पाइपलाइन के साथ पूरे वर्ष के लिए कैपेसिटी एडिशन चालू वित्त वर्ष में 45-50 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि वित्त वर्ष 2025 के लेवल से अधिक है।
इस वर्ष 10 नवंबर तक पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक बढ़कर 16.6 दिन दर्ज किया गया है, जो कि इससे पिछले महीने अक्टूबर के आखिर में 15.6 दिन था। मानसून से जुड़ी माइनिंग बाधाओं के कारण स्टॉक नॉर्मल लेवल से थोड़ा नीचे बना हुआ है। हालांकि, यह 2023 और 2024 के सितंबर के लेवल से अधिक है, जो दिखाता है कि सप्लाई की स्थिति स्थिर बनी हुई है।
फर्म ने कहा कि इस वर्ष 10 नवंबर को इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर एवरेज स्पॉट पावर टैरिफ 3.1 रुपए प्रति यूनिट दर्ज किया गया है, जो कि अक्टूबर के 2.7 रुपए से अधिक है, लेकिन नवंबर 2024 के 3.3 रुपए प्रति यूनिट से कम है, जो अधिक रिन्यूएबल जेनरेशन और कम मांग को दर्शाता है।
--आईएएनएस
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