दिल्ली हाईकोर्ट ने शादी की आड़ में नाबालिग लड़कियों के अपहरण, हमले की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई

दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (आईएएनएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों के अपहरण और यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिसके कारण उन्हें शिक्षा छोड़नी पड़ रही है और उन्हें करियर के अवसरों से वंचित होना पड़ रहा है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल संबंधित व्यक्तियों को प्रभावित करती हैं, बल्कि पूरे समाज पर भी गहरा प्रभाव डालती हैं।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने यह टिप्पणी मोहम्मद तसलीम अली की अपील खारिज करते हुए की। तसलीम अली को 14 साल की लड़की के अपहरण और बलात्कार का दोषी ठहराया गया।

पहले से शादीशुदा होने और दो बच्चों के होने के बावजूद, तसलीम अली ने नाबालिग पीड़िता को पढ़ाई छोड़ने के लिए मनाकर उससे शादी कर ली। अदालत ने तसलीम अली की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसे पीड़िता की उम्र नहीं पता थी क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था।

अदालत ने महिला सशक्तिकरण में शिक्षा के महत्व और नाबालिग लड़कियों को अपनी पढ़ाई के लिए एक सुरक्षित और सहायक वातावरण की आवश्यकता पर जोर दिया।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि सामाजिक प्रगति एक मूलभूत स्तंभ के रूप में शिक्षा पर निर्भर करती है, और कोई भी व्यवधान, जैसे कि लड़कियों को अपनी पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया जाना, सामाजिक उन्नति की नींव से समझौता करता है।

लड़कियों को अक्सर यह सोचकर गुमराह किया जाता है कि वे वैवाहिक संबंध में प्रवेश कर रही हैं, यौन उत्पीड़न को सहमति से किया गया कृत्य बताया जाता है। इन कृत्यों के परिणाम व्यक्तिगत पीड़ितों से परे, सामाजिक बंधनों और वैध संरक्षकता को बाधित करते हैं।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली को सामाजिक जिम्मेदारी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अदालत ने कहा कि ये फैसले समाज को एक संदेश भेजते हैं, पीड़ितों और बड़े समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता प्रदर्शित करते हैं।

--आईएएनएस

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