नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 में 29.92 मिलियन टन गेहूं की खरीद की है। इसमें पिछले साल की अपेक्षा 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और बीते तीन वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदने का यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
यह खरीद देश भर के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों की मंडियों में पहुंचे कुल 40.42 मिलियन टन गेहूं में से की गई है। शेष हिस्सा मिल मालिकों और व्यापारियों द्वारा ऐसी कीमत पर खरीदा गया है जो सरकार द्वारा दिए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम नहीं हो सकती है।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में अभी भी थोड़ी मात्रा में गेहूं पहुंचने का अनुमान है। कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बाजार हस्तक्षेप योजनाओं के माध्यम से वितरण के लिए इस खरीद को पर्याप्त माना जा रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से बताया गया,"वर्तमान में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास 36.65 मिलियन टन गेहूं का स्टॉक है, जो 1 जुलाई के लिए 27.58 मिलियन टन की बफर आवश्यकता से अधिक है।
देश के जिन चार राज्यों में गेहूं की सबसे ज्यादा खरीद हुई है, उनमें 11.93 मिलियन टन के साथ पंजाब पहले स्थान पर था। मध्य प्रदेश 7.77 मिलियन टन के साथ दूसरे, हरियाणा 7.14 मिलियन टन के साथ तीसरे और राजस्थान 2.02 मिलियन टन के साथ चौथे स्थान पर था।
कृषि मंत्रालय ने फसल वर्ष 2024-25 (जुलाई-जून) के दौरान गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 117.5 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 3.7 प्रतिशत अधिक है।
गुरुवार को प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडी में औसत कीमतें पंजाब में 2,475 रुपए प्रति क्विंटल, मध्य प्रदेश में 2,521 रुपए प्रति क्विंटल, राजस्थान में 2,465 रुपए प्रति क्विंटल और हरियाणा में 2,425 रुपए प्रति क्विंटल थीं। वहीं, गेहूं का खुदरा मूल्य 28 रुपए प्रति किलोग्राम था।
भारत सरकार खाद्य पदार्थों की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है और उसने पूरे देश में थोक व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू की है, ताकि जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोका जा सके, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ती है।
मई के अंतिम सप्ताह में जारी आदेश में थोक व्यापारियों को 3,000 मीट्रिक टन गेहूं स्टॉक रखने की अनुमति दी गई है। खुदरा व्यापारियों के लिए स्टॉक सीमा 10 मीट्रिक टन तय की गई है।
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