नई दिल्ली, 16 सितंबर (आईएएनएस)। आयात और निर्यात के अनंतिम मूल्यांकन पर सीमा शुल्क नियमों में संशोधन से राजस्व संरक्षण, व्यापार सुविधा में मदद मिलेगी और लंबे समय से लंबित मामलों का निपटारा होगा। यह बयान मंगलवार को इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की ओर से दिया गया।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने सीमा शुल्क (अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देना) विनियम, 2025 जारी किए हैं, जिनका उद्देश्य सीमा शुल्क प्रशासन में गति, निश्चितता और पारदर्शिता बढ़ाना है। नए नियम अनंतिम मूल्यांकन पूरा करने के लिए विशिष्ट समय-सीमा निर्धारित करते हैं।
उद्योग विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस कदम से व्यापार और सीमा शुल्क प्रशासन में लगातार आ रही परेशानियां दूर होंगी।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर और टैक्स कॉन्ट्रोवर्सी मैनेजमेंट लीडर मनोज मिश्रा ने कहा, "सीमा शुल्क (अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देना) विनियम, 2025 का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था। इससे सीमा शुल्क प्रशासन में निश्चितता और दक्षता बढ़ेगी। स्पष्ट समयसीमा लागू करके, सीबीआईसी ने एक ऐसी समस्या का समाधान किया है जो लंबे समय से व्यापार और अधिकारियों दोनों पर बोझ रही है।"
उन्होंने कहा कि इससे व्यवसायों को रुकी हुई वर्किंग कैपिटल तेजी से मिलेगी, अनुपालन लागत कम होगी और आपूर्ति श्रृंखलाओं में बेहतर पूर्वानुमान लगाना आसान हो जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "समय पर अंतिम रूप देना, साथ ही करदाता के प्रस्तुतीकरण के अधिकार की रक्षा करना, महत्वपूर्ण होगा। यदि इन्हें इच्छित भावना से क्रियान्वित किया जाए, तो ये नियम राजस्व संरक्षण और व्यापार सुगमता के बीच संतुलन स्थापित कर सकते हैं, लंबे समय से लंबित मामलों का निपटारा कर सकते हैं और उद्योग एवं प्रशासन के बीच बेहतर विश्वास का निर्माण कर सकते हैं।"
अधिसूचना में कहा गया है कि नए नियमों के तहत, आयातकों और निर्यातकों को आवश्यक दस्तावेज मांग के 15 दिनों के भीतर उपलब्ध कराने होंगे, जिसकी अवधि दो महीने तक बढ़ाई जा सकती है। सीमा शुल्क अधिकारियों को 14 महीनों के भीतर पूछताछ पूरी करनी होगी। अपील, स्थगन आदेश या अंतर्राष्ट्रीय सूचना अनुरोधों से संबंधित मामलों को छोड़कर, अनंतिम मूल्यांकन को अंतिम रूप देने का काम अनंतिम मूल्यांकन की तारीख से दो वर्षों के भीतर पूरा किया जाना है।
नया ढांचा अनंतिम मूल्यांकन चरण में स्वैच्छिक शुल्क भुगतान की अनुमति देता है, जिसे अंतिम रूप देने के समय निर्धारित शुल्क के विरुद्ध समायोजित किया जाएगा।
अनुपालन न करने पर 25,000 रुपए तक का ब्याज और जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, अधिसूचना में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए धनवापसी, शुल्क वसूली और बांड रद्दीकरण की प्रक्रियाओं का विस्तृत विवरण दिया गया है।
--आईएएनएस
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