गुजरात में नारियल की खेती का नया रिकॉर्ड, सालाना उत्पादन 26.09 करोड़ यूनिट के पार

गुजरात में नारियल की खेती का नया रिकॉर्ड, सालाना उत्पादन 26.09 करोड़ यूनिट के पार

गांधीनगर, 6 सितंबर (आईएएनएस)। गुजरात ने कृषि क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल की है और अब देश के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में शुमार हो गया है। राज्य में इस साल कच्चे नारियल का वार्षिक उत्पादन 26.09 करोड़ यूनिट से अधिक पहुंच गया है। लगातार सरकारी प्रोत्साहन और किसानों की मेहनत की बदौलत गुजरात अब देश के प्रमुख नारियल उत्पादक राज्यों में शुमार हो गया है।

राज्य के गीर सोमनाथ, जूनागढ़, भावनगर, वलसाड, कच्छ, नवसारी और द्वारका जैसे तटीय जिलों में नारियल की खेती तेजी से बढ़ी है। आज इन इलाकों में नारियल के पेड़ हर तरफ लहलहा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से नारियल उत्पादक किसानों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

संयुक्त बागायत निदेशक जेआर पटेल ने कहा कि गुजरात का 1600 किलोमीटर से अधिक लंबा तटीय क्षेत्र नारियल की खेती के लिए बेहद उपजाऊ है। राज्य सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं और उन्हें आर्थिक सहयोग दिया जा रहा है, जिससे उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

सोमनाथ के किसान दिलीप भाई बारडसे ने बताया कि नारियल की खेती करने पर प्रति हेक्टेयर 13 हजार रुपये की सहायता और कीटनाशकों के लिए 5 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद सरकार से मिलती है। इससे नारियल उत्पादक किसानों को काफी राहत मिल रही है और वे खेती को लेकर उत्साहित हैं।

नारियल उत्पादन को केवल कच्चे फल तक सीमित न रखते हुए अब इससे बने उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

जूनागढ़ के नायब बागायत अधिकारी मनोज अग्रवाल ने बताया कि नारियल पानी के अलावा किसान अब कोकोपीट, नारियल हलवा और अन्य उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रहे हैं। इससे उनकी आय में इज़ाफा हो रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

राज्य सरकार गुजरात नारियल विकास कार्यक्रम चला रही है। वर्ष 2024-25 में इसके लिए 5.5 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। इस योजना के तहत किसानों को विभिन्न चरणों में प्रति हेक्टेयर 42,500 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात में नारियल की खेती का रकबा वर्ष 2014-15 के 22,451 हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में 28,197 हेक्टेयर हो गया है।

गुजरात में पैदा होने वाले नारियल का लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में भेजा जाता है। इससे स्थानीय किसानों को बड़ा बाजार मिलता है और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

--आईएएनएस

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