जीएसटी सुधार भारत की विकास यात्रा में संरचनात्मक बदलाव का संकेत: स्वदेशी जागरण मंच

जीएसटी सुधार से भारत की विकास यात्रा में संरचनात्मक बदलाव के संकेत: स्वदेशी जागरण मंच

नई दिल्ली, 4 सितंबर (आईएएनएस)। स्वदेशी जागरण मंच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा घोषित साहसिक जीएसटी सुधारों का स्वागत करता है, जिन्होंने 15 अगस्त को लालकिले से दिए गए स्वदेशी अपनाने और राष्ट्र को सशक्त बनाने के आह्वान को ठोस रूप प्रदान किया है। जीएसटी दरों में कमी और उनका सरलीकरण केवल एक राजकोषीय कदम नहीं है, बल्कि एक स्वदेशी उन्मुख सुधार है, जो घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करेगा, एमएसएमई को सशक्त करेगा, व्यापारियों और कारीगरों को सहयोग देगा तथा मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की नींव को और मजबूत बनाएगा।

1991 से ही स्वदेशी जागरण मंच लगातार जनमानस में स्वदेशी अपनाने की चेतना जगा रहा है और उसका दृढ़ विश्वास है कि भारत केवल स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के आधार पर ही समृद्ध हो सकता है।

वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं की स्थिति में जब आपूर्ति शृंखलाओं, भुगतान प्रणालियों और मुद्राओं को हथियार बनाया जा रहा है, जब अमेरिका और अन्य देश शुल्क दीवारें और गैर-शुल्कीय बाधाएं खड़ी कर रहे हैं, और जब चीन जैसे देश हमारे विनिर्माण को समाप्त करने के लिए डंपिंग कर रहे हैं, तब ये जीएसटी सुधार हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक अहम साधन हैं। आवश्यक वस्तुओं और स्थानीय उत्पादों पर कम जीएसटी मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत करेगा और साथ ही विकेन्द्रित विकास मॉडल के जरिए रोजगार, आजीविका और जनकल्याण को बढ़ावा देगा।

वृहद आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो स्वदेशी शोध संस्थान का मानना है कि ये सुधार भारत की विकास यात्रा में संरचनात्मक बदलाव के संकेत हैं। परिवारों और एमएसएमई पर कर का बोझ घटने से उनकी क्रय शक्ति और उपभोग मांग बढ़ेगी, जिससे जीडीपी पर गुणक प्रभाव पड़ेगा। आंकड़े बताते हैं कि घरेलू उपभोग में 1 प्रतिशत वृद्धि, जीडीपी विकास में लगभग 0.3 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी करती है। एमएसएमई क्षेत्र, जो जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत योगदान करता है और 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है, कर सरलीकरण से उत्पादन विस्तार कर लाखों नए रोजगार अवसर उत्पन्न कर सकता है। कृषि क्षेत्र, जिसमें 43 प्रतिशत से अधिक कार्यबल (पीएलएफएस 2023–24) कार्यरत है, कृषि-इनपुट्स और खाद्य प्रसंस्करण मशीनरी पर कम कर दरों से लाभान्वित होगा, जिससे उत्पादकता और ग्रामीण आय में वृद्धि होगी।

स्वदेशी जागरण मंच का दृढ़ विश्वास है कि इन जीएसटी सुधारों से बाहरी क्षेत्र को भी लाभ होगा। 2023–24 में भारत का माल निर्यात 437 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, लेकिन वस्त्र, चमड़ा और खाद्य उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र प्रतिस्पर्धियों से पिछड़ते रहे। जीएसटी के तर्कसंगत होने से लागत दबाव घटेगा, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और मध्यम अवधि में निर्यात में 5–7 प्रतिशत अतिरिक्त वृद्धि संभव होगी। इससे चीन से होने वाले लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर के खतरनाक व्यापार घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी। राजकोषीय मोर्चे पर सरल जीएसटी ढांचा औपचारिककरण को प्रोत्साहित करेगा और कर संग्रह को स्थिर बनाए रखेगा, जो सार्वजनिक निवेश को गति देगा।

ये परिणाम, तेज विकास, रोजगार सृजन, निर्यात में गतिशीलता, मजबूत कृषि और राजकोषीय स्थिरता, स्वदेशी जागरण मंच के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी की उस दृष्टि के अनुरूप हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि आर्थिक नीति ऐसी होनी चाहिए जो आत्मनिर्भरता के साथ विकास करे, श्रम की गरिमा की रक्षा करे और आर्थिक शक्ति का विकेंद्रीकरण सुनिश्चित करे। जीएसटी सुधार उसी स्वदेशी मॉडल को आगे बढ़ाते हैं, जहां समृद्धि का आधार राष्ट्रीय हित और जनकल्याण है, न कि विदेशी एकाधिकारों पर निर्भरता।

जब अमेरिका इस्पात, एल्युमीनियम, ईवी और सौर उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाकर भारत के 5 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक निर्यात को खतरे में डाल रहा है, तब भारत के जीएसटी सुधार एक स्वदेशी विकल्प प्रस्तुत करते हैं। बाहरी दीवारें खड़ी करने के बजाय भारत ने घरेलू बोझ घटाया है और विशेष रूप से किसानों व एमएसएमई को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की शक्ति दी है। राज्य स्तर पर तमिलनाडु का वस्त्र उद्योग (6 अरब डॉलर), उत्तर प्रदेश का चमड़ा उद्योग (3.5 अरब डॉलर), महाराष्ट्र और गुजरात का ऑटो-कंपोनेंट्स व खाद्य प्रसंस्करण, तथा पंजाब-हरियाणा का कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र इन सुधारों से सीधा लाभान्वित होगा।

वैश्विक परिस्थितियां ऐसे सुधारों की आवश्यकता को और स्पष्ट करती हैं, क्योंकि विकसित देशों में संरक्षणवाद बढ़ रहा है और चीन लगातार अपने व्यापारिक लाभ का दुरुपयोग कर भारत को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत को अपने शत्रुओं को वित्तीय लाभ नहीं देना चाहिए, जबकि हमारे सैनिक सीमा पर संघर्ष कर रहे हैं। घरेलू विनिर्माण को सशक्त कर ये सुधार हमें ऐसे बाहरी दबावों का सामना करने की क्षमता प्रदान करते हैं।

स्वदेशी का दर्शन अलगाववादी नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का मार्ग है कि हमारी आर्थिक नीतियां, व्यापारिक निर्णय और उपभोक्ता विकल्प राष्ट्रहित के अनुरूप हों। भारतीयों का हर रुपए भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करे, न कि विदेशी एकाधिकारों या विरोधियों को।

भारत की असली ताकत उसके लोग, उसके संसाधन और उसकी उद्यमशीलता है। नीति-प्राथमिकता और जन-जागरूकता ही कुंजी हैं। अब जब जीएसटी सुधार घर-घर और छोटे कारोबारियों को राहत दे रहे हैं, तो हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में स्वदेशी को अपनाए, भारतीय उत्पादों का चुनाव करे, स्थानीय उद्यमों को समर्थन दे और विदेशी आयातों के प्रलोभन को अस्वीकार करे।

स्वदेशी जागरण मंच देश के सभी नागरिकों से आह्वान करता है कि वे ‘स्वदेशी सुरक्षा एवं स्वावलंबन अभियान’ से जुड़ें, ताकि हम सब मिलकर भारत को वास्तव में महान, आत्मनिर्भर और हर वैश्विक चुनौती का सामना करने में सक्षम बना सकें।

145 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वदेशी जागरण मंच एक बार फिर हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस क्रांतिकारी जीएसटी सुधार के लिए धन्यवाद देता है, जिसने करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाने और हमारे देश को और अधिक सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।

--आईएएनएस

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