गलत लाइफस्टाइल और खानपान बिगाड़ सकता है सेहत, पथरी का भी खतरा

गलत लाइफस्टाइल और खानपान बिगाड़ सकता है सेहत, पथरी का बढ़ता है खतरा

नई दिल्ली, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। आजकल पित्त की थैली में पथरी की समस्या बहुत आम हो गई है। इसका बड़ा कारण हमारी लाइफस्टाइल और खानपान है। ज्यादा तला-भुना खाना, भारी तेल वाला भोजन, लंबे समय तक भूखे रहना और बहुत कम पानी पीना इसके पीछे के मुख्य कारण हैं।

पित्त की थैली का काम है, खाए हुए भोजन को पचाने के लिए पित्त को जमा करके रखना। जब यह पित्त गाढ़ा होना शुरू होता है तो उसमें छोटे-छोटे कण जमने लगते हैं और समय के साथ पथरी बन जाती है।

आयुर्वेद में पित्त-कफ के असंतुलन को इसका मुख्य कारण माना गया है। कफ की चिपचिपाहट और पित्त की गर्म प्रकृति मिलकर पित्त को इतना गाढ़ा बना देती है कि उसमें ठोस कण बनने लगते हैं। इसी वजह से भारीपन, अपच, गैस और पेट में गर्मी जैसी दिक्कतें बढ़ती हैं।

गॉलस्टोन के कुछ लक्षण ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जैसे दाईं तरफ पेट में हल्का या तेज दर्द, खाना खाने के बाद भारीपन, गैस और बार-बार डकार, कड़वाहट का स्वाद, दाईं कंधे तक जाता हुआ दर्द, उलटी जैसा महसूस होना या तेल वाला खाना अचानक खराब लगना। कई बार पथरी चुपचाप भी रहती है और तभी परेशानी देती है जब वह बड़ी हो जाए या नली में फंस जाए।

घर पर देखभाल में कुछ साधारण बातें बहुत मदद कर सकती हैं। दिनभर पर्याप्त पानी पीना, सुबह हल्का गुनगुना पानी लेना, कभी-कभी नींबू या हल्दी वाला गर्म पानी, चुकंदर-खीरा का हल्का जूस और रात को थोड़ी सी इसबगोल भूख शांत रखने में सहायक हो सकते हैं। अदरक वाला पानी पेट हल्का रखता है।

खाने में बहुत तली चीजें, फास्ट फूड, भारी मिठाई, रात को बहुत देर का भोजन, ठंडे पेय और बहुत मसालेदार खाना कम करना जरूरी है, जबकि दलिया, मूंग दाल की खिचड़ी, गर्म पानी, हल्के मसाले, नारियल पानी, फल-सब्जी, सूप और कम तेल वाली सब्जियां पेट को आराम देती हैं।

आयुर्वेद में कुटकी, भूम्यामलकी, त्रिफला, भृंगराज काढ़ा, आरोग्यवर्धिनी या पुनर्नवा पानी जैसी चीजें पित्त को संतुलित करने के लिए बताई जाती हैं, लेकिन इन्हें केवल किसी योग्य वैद्य की सलाह से ही लेना चाहिए।

--आईएएनएस

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