फ्लेक्सन से रोटेशन तक, घंटों बैठे-बैठे करते हैं काम? 'नेक मूवमेंट' दिलाएगा दिक्कतों से छुटकारा

फ्लेक्सन से रोटेशन तक, घंटों बैठे-बैठे करते हैं काम? 'नेक मूवमेंट' दिलाएगा दिक्कतों से छुटकारा

नई दिल्ली, 7 अगस्त (आईएएनएस)। गर्दन की मांसपेशियां खोपड़ी और जबड़े से लेकर आपके कंधे की हड्डियों और कॉलरबोन तक फैली होती हैं। ये मांसपेशियां सिर, गर्दन और रीढ़ के ऊपरी हिस्से को सहारा और स्थिरता प्रदान करती हैं। इसके साथ ही ये सिर को अलग-अलग दिशाओं में घुमाने, चबाने, निगलने और सांस लेने में भी मदद करती हैं। ऐसे में सरल एक्टिविटिज के साथ इन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है।

आयुष मंत्रालय ने योग के माध्यम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक सरल और प्रभावी सुझाव दिया है। मंत्रालय के अनुसार, योग की शुरुआत गर्दन की गतिविधियों से करें, जो शरीर को धीरे-धीरे सक्रिय करती हैं और नर्वस सिस्टम को शांत रखती हैं। सामान्य योग प्रोटोकॉल में शामिल चार आसान व्यायामों का यह सेट तनाव कम करने, लचीलापन बढ़ाने और सिर व रीढ़ में रक्त संचार को बेहतर बनाने में मदद करता है।

आयुष मंत्रालय ने बताया कि ये चारों व्यायाम रोजमर्रा की जिंदगी में आसानी से किए जा सकते हैं। ये न केवल अच्छी सेहत के लिए जरूरी हैं बल्कि मानसिक तनाव को भी दूर करते हैं। मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे इन सरल व्यायामों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। खासकर उन लोगों के लिए जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं, ये व्यायाम गर्दन और कंधों की जकड़न को दूर करने में कारगर हैं।

आयुष मंत्रालय ने गर्दन की गतिविधियों को चार चरणों में बांटा है: इनमें फ्लेक्सन (आगे की ओर झुकना), एक्सटेंशन (पीछे की ओर झुकना), साइड बेंडिंग (एक तरफ झुकना), और रोटेशन (घूमना)।

पहला चरण है गर्दन को आगे और पीछे की ओर झुकाना या स्ट्रेच करना। यह व्यायाम गर्दन की मांसपेशियों को खोलता है और तनाव को कम करता है। दूसरे चरण में दाएं और बाएं ओर झुकना या खिंचना शामिल है, जो गर्दन की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। तीसरे चरण में दाएं और बाएं ओर गर्दन को घुमाना है, जो गतिशीलता को बढ़ाता है। चौथा चरण है गर्दन को पूरा घूमना, जो मांसपेशियों को मजबूती और स्थिरता प्रदान करता है।

मंत्रालय के अनुसार, गर्दन की मांसपेशियां खोपड़ी से लेकर कंधों और कॉलरबोन तक फैली होती हैं। ये मांसपेशियां सिर, गर्दन और रीढ़ के ऊपरी हिस्से को सहारा देती हैं, साथ ही चबाने, निगलने और सांस लेने जैसी गतिविधियों में मदद करती हैं। ये कंकालीय मांसपेशियां टेंडन के जरिए हड्डियों से जुड़ी होती हैं और स्वैच्छिक होती हैं, यानी इन्हें हम अपनी इच्छा से नियंत्रित कर सकते हैं। इन मांसपेशियों का जटिल मस्कुलोस्केलेटल तंत्र खोपड़ी को धड़ से जोड़ता है, जिससे विभिन्न गतिविधियां संभव हो पाती हैं।

--आईएएनएस

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