डिजिटल क्रिएशन पर बोलीं प्राजक्ता कोली- यहां कोई रोडमैप नहीं, रोलरकोस्टर है

Prajakta Koli

मुंबई, 9 दिसंबर (आईएएनएस)। यूट्यूबर और एक्ट्रेस प्राजक्ता कोली ने साफ कहा है कि डिजिटल कंटेंट क्रिएशन का दौर न तो खत्म हुआ है और न ही धीमा पड़ा है, बल्कि पिछले दस साल में यह पहले से कहीं ज्यादा बड़ा, तेज और अनिश्चित हो गया है।

आईएएनएस से बातचीत में जब उनसे पूछा गया कि क्या सोशल मीडिया अब इन्फ्लुएंसर-डॉमिनेटेड हो गया है और कंटेंट क्रिएटर्स की शेल्फ लाइफ खत्म हो रही है, तो प्राजक्ता ने कहा, “मुझे बिल्कुल ऐसा नहीं लगता। यह कम नहीं हुआ है, बस बदल गया है। दस-ग्यारह साल पहले जब हमने काम शुरू किया था, तब सिर्फ लॉन्ग-फॉर्म वीडियो चलते थे। आज लोगों का अटेंशन बस बंट गया है। आज कई नए-नए प्लेटफॉर्म्स आ गए हैं।”

प्राजक्ता ने साल 2017 के डिजिटल बूम को गेम-चेंजर बताया। उन्होंने कहा, “उसी बूम की वजह से आज भारत में इतना काम है कि पहले से कहीं ज्यादा क्रिएटर्स मौजूद हैं। यही कारण है कि आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल इकॉनमी बन चुका है। हर बड़ा ब्रांड, हर बड़ी कंपनी भारत की तरफ देख रही है और हमारे साथ काम करना चाहती है।”

क्रिएटर बनने की जर्नी को उन्होंने पूरी तरह अनप्रेडिक्टेबल बताया। प्राजक्ता ने कहा, “इस इंडस्ट्री में कोई तय रोडमैप या ब्लूप्रिंट नहीं होता। यह एक रोलरकोस्टर राइड है। कभी लगता है कि तीन-चार अच्छे वीडियो बन गए, जिंदगी सेट हो गई। फिर पांचवां वीडियो आते-आते सब बदल जाता है। इस पागलपन में कोई पैटर्न नहीं, कोई रिदम नहीं। सब कुछ खुद ही करना पड़ता है।”

उन्होंने यह भी माना कि पिछले दस साल में उनकी सबसे बड़ी सीख यही रही है कि बदलाव को जल्दी अपनाना जरूरी है। उन्होंने बताया, “मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण रहा यह समझना कि इस समय कौन-सी चीज चल रही है, कौन सी चलनी बंद हो गई और फिर बिना रुके अगली चीज की तरफ बढ़ जाना।"

प्राजक्ता का मानना है कि डिजिटल स्पेस का सफर जितना चुनौतीपूर्ण है, उतना ही रोमांचक भी है। ‘मोस्टलीसेन’ चैनल से मशहूर हुईं प्राजक्ता ‘मिस्मैच्ड’ और ‘जुग जुग जीयो’ जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में भी नजर आ चुकी हैं।

--आईएएनएस

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