नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। आज का भारत किसी से डिक्टेशन नहीं लेता, भारत अपनी स्क्रिप्ट खुद लिखता है। आज भारत एक ऐसे वर्ल्ड ऑर्डर की स्क्रिप्ट लिखने के लिए तैयार है, जिसे पूरी दुनिया हर्ष और स्वेच्छा से फॉलो करेगी। बुधवार को यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने जिस अखंड भारत का निर्माण किया था, उसे आगे बढ़ाने का कार्य आज पीएम मोदी कर रहे हैं। आज भी दुनिया के सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि भारत ने कभी किसी शक्ति के सामने सिर नहीं झुकाया और न ही भविष्य में कभी झुकाएगा। राजनाथ सिंह 'हैदराबाद लिबरेशन डे' के अवसर पर बोल रहे थे।
रक्षा मंत्री ने कहा, “17 सितंबर के दिन निजाम ने भारत के साथ विलय करना मंजूर किया था। ऐसा हुआ था सरदार पटेल के दृढ़ निश्चय और साहस के कारण। यह सिर्फ सुखद संयोग मात्र नहीं है कि हमारे युग के एक और दृढ़-निश्चयी नेता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी 17 सितंबर को होता है। निजाम दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक था। उसे भ्रम हो गया था कि अपने धन के बल पर वह भारत को झुका देगा। लेकिन, इतिहास गवाह है, धन और घमंड की ताकत कभी भी राष्ट्र की एकता और संकल्प से बड़ी नहीं होती। अंततः उसका हश्र सबके सामने है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि जो लोग धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा के नाम पर भारत को बांटना चाहते हैं, उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि जब हैदराबाद के लिए ऑपरेशन पोलो हुआ था, तब हमारे वीर सैनिकों ने जाति, धर्म या मजहब की परवाह किए भारत की अखंडता की रक्षा की। हवलदार बच्चित्तर सिंह पंजाब के वीर सपूत थे, जिन्होंने भारत की एकता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वह पहले भारतीय थे, जिन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। आज का भारत, केवल वार्ता की टेबल पर नहीं बल्कि दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर जवाब देने में भी सक्षम है। यही है नया भारत, धैर्यवान भी, बलवान भी और सामर्थ्यवान भी। हमारी सशक्त सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर से दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इसे तब स्थगित किया गया, जब पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी यह ऑपरेशन स्थगित है, खत्म नहीं हुआ है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक हो या 2019 का बालाकोट एयर स्ट्राइक या 2025 का ऑपरेशन सिंदूर, भारत ने यह साबित कर दिया है कि जो लोग बातचीत, शांति और सद्भावना की भाषा नहीं समझते, उन्हें हम उसी भाषा में जवाब देना जानते हैं, जिसे वे समझते हैं। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया को बार-बार यह दिखा दिया है कि हमारा धैर्य हमारी ताकत है, कमजोरी नहीं। जैसे बातचीत से समाधान न निकलने के बाद सरदार पटेल ने हार्ड पावर का रास्ता चुना, वैसे ही हमने भी किया। ऑपरेशन पोलो की सफलता और हैदराबाद का भारत में विलय वह गौरवशाली अध्याय है, जिसने दुनिया को दिखा दिया कि भारत अपनी एकता की रक्षा करने में हमेशा से सक्षम भी है और सामर्थ्यवान भी। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह सामर्थ्य और बढ़ा है। अब कोई भी ताकत भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने आर्थिक प्रगति के माध्यम से राष्ट्र को नई एकता दी है। 2014 से आर्थिक एकीकरण का जो कार्य शुरू हुआ है, उससे हमारे देशवासियों का जीवन सुगम हुआ है। आज देश का कोई भी क्षेत्र यह नहीं कह सकता कि उसे विकास की दौड़ में पीछे छोड़ दिया गया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर सरदार पटेल का अधूरा सपना साकार हुआ है। अलगाव की एक ऐतिहासिक दीवार टूटी है। पूर्वोत्तर, जो कभी दूर समझा जाता था, अब विकास और अवसर की धारा में भारत की धड़कनों के साथ कदमताल कर रहा है। जैसे सरदार पटेल ने नव-स्वतंत्र भारत को राजनीतिक और भौगोलिक एकता के सूत्र में पिरोया था, वैसे ही 2014 से प्रधानमंत्री मोदी निरंतर भारत को सांस्कृतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और आर्थिक स्तर पर मजबूत करने का कार्य कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं मानता हूं कि ऑपरेशन पोलो केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, यह सरदार पटेल का निर्णायक प्रहार था, जिसने रजाकारों के षड्यंत्र को चकनाचूर किया और हैदराबाद को मां भारती की गोद में लाकर बैठा दिया। मैं पूछता हूं कि किसी ने युवा पीढ़ी को इस दिन के महत्व से जोड़ने के प्रयास क्यों नहीं किए, क्योंकि पिछली सरकारें अपनी तुष्टिकरण की नीतियों में फंसी रहीं और डर के कारण इस दिन को मनाने से भी बचती रहीं। मैं कहना चाहता हूं कि रजाकारों का आतंक लगभग पहलगाम के आतंक के समान ही था, जहां लोगों से धर्म पूछकर उन्हें मारा गया। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भी रजाकारों की तरह भारत के सामाजिक सौहार्द्र पर प्रहार था। जैसे 1948 में रजाकारों की साजिश पटेल की लौह इच्छाशक्ति के आगे ढह गई थी, वैसे ही आज भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और उनके एजेंट असफल हुए हैं। भारत ने इस हमले का करारा जवाब दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि सरदार पटेल ने घमंडी निजाम, उसके कुटिल सलाहकारों और उसकी खूनी सेना को घुटनों पर लाकर खड़ा किया। हार के बाद निजाम को भारत में विलय करना पड़ा, रजाकारों से नाता तोड़ना पड़ा, संयुक्त राष्ट्र में की गई शिकायत वापस लेनी पड़ी और लोकतांत्रिक व्यवस्था स्वीकार करनी पड़ी। आज भी देश में रजाकारों के हमदर्द मौजूद हैं। मैं साफ कहना चाहता हूं कि ये ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। हम दृढ़ संकल्पित हैं कि इस सोच, इस विचारधारा और इस मानसिकता को भारत से पूरी तरह समाप्त करेंगे। भारत की अखंडता और एकता से बड़ा कोई मूल्य नहीं है। जो लोग धर्म, क्षेत्र, जाति और भाषा के नाम पर भारत को बाटना चाहते हैं, उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि जब ऑपरेशन पोलो हुआ था, तब हमारे वीर सैनिकों ने बिना किसी जाति, धर्म या मजहब की परवाह किए भारत की अखंडता की रक्षा की।
--आईएएनएस
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