नई दिल्ली, 10 दिसंबर (आईएएनएस)। राजधानी के प्रसिद्ध दिल्ली हाट में इन दिनों विशेष प्रदर्शनी का आयोजन चल रहा है, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से आईं शिल्प दीदियां अपने हुनर का प्रदर्शन कर रही हैं। इस हफ्ते हैंडीक्राफ्ट सप्ताह चल रहा है। प्रदर्शनी में पारंपरिक कौशल, आधुनिक डिजाइन और महिला उद्यमशीलता का शानदार संगम देखने को मिल रहा है।
इन शिल्प दीदियों का उद्देश्य न केवल अपने उत्पादों को बाजार तक पहुंचाना है, बल्कि अधिक से अधिक महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रेरित करना भी है।
इस अवसर पर वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शमी राव ने कहा कि सरकार का पूरा प्रयास है कि नारी शक्ति को आर्थिक रूप से मजबूत किया जाए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निरंतर इस बात पर जोर दे रहे हैं कि महिलाओं की सामूहिक शक्ति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
राव ने कहा, “हम ‘लखपति दीदी’ के साथ आगे बढ़कर ‘पंच लखपति’ और ‘दस लखपति दीदी’ बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि महिलाएं न केवल अधिक आय अर्जित करें, बल्कि अपने साथ अन्य महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध कराएं।
उन्होंने यह भी बताया कि हैंडीक्राफ्ट सप्ताह के दौरान ऐसी कई शिल्प दीदियों से मुलाकात हुई, जिनकी वार्षिक आय पांच लाख रुपए से अधिक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि डीसी हैंडीक्राफ्ट्स द्वारा संचालित नेशनल हैंडक्राफ्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम के माध्यम से क्लस्टर स्तर पर महिलाओं को प्रशिक्षण, मार्केट से जोड़ने और उनके उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने का काम किया जा रहा है।
राजस्थान के जयपुर से आईं शिल्प दीदी निवेदिता प्रजापति ने आईएएनएस से बातचीत में बताया कि वह ज्वेलरी डिजाइनिंग और एक्सपोर्ट के क्षेत्र से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने सभी डिजाइन खुद तैयार करती हूं। दो साल पहले मेरा चयन शिल्प दीदी योजना में हुआ, जिसके बाद मेरे एक्सपोर्ट बिजनेस को नई दिशा मिली। इस प्लेटफॉर्म ने न केवल मेरे काम को पहचान दिलाई, बल्कि मेरी कमाई कई गुना बढ़ गई। मोदी सरकार जिस तरह महिलाओं को उद्यमी बनने के अवसर दे रही है, वह वाकई महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण है।
वहीं, शिल्प दीदी प्रिया हैंड एंब्रॉयडरी के काम से जुड़ी हैं। उन्होंने बताया कि 2024 में डीसी हैंडीक्राफ्ट्स के माध्यम से उनका चयन हुआ। उन्होंने कहा, “हमें प्रदर्शनी में अपने उत्पाद दिखाने का मौका मिला, जिससे छोटे-बड़े कई दुकानदारों से ऑर्डर मिले। शुरुआत में हमारे पास महिलाओं की कमी थी, इसलिए हमने घर-घर जाकर उन्हें प्रशिक्षित किया। ट्रेनिंग के लिए जब संसाधन नहीं थे तो डीसी हैंडीक्राफ्ट्स ने हमारी मदद की। आज मेरी आमदनी पांच लाख रुपए से भी ऊपर है और कई महिलाएं मेरे साथ रोजगार से जुड़ी हैं।
--आईएएनएस
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