दस साल की ‘रानी’: विल्हेल्मिना की कहानी! जिसने डच सिंहासन को नई पहचान दी

Queen Wilhelmina

नई दिल्ली, 22 नवंबर (आईएएनएस)। नीदरलैंड में 23 नवंबर की तारीख एक ऐतिहासिक मोड़ लेकर आई। महज 10 वर्ष की एक बच्ची के सिर पर ताज सजा। महज 10 साल की रानी का नाम था 'विल्हेल्मिना'। यह वह दौर था जब महिलाएं सामाजिक-राजनीतिक निर्णयों में शामिल होने के अधिकार के लिए दुनिया भर में संघर्ष कर रही थीं। ऐसे समय में एक नन्ही लड़की का सत्ता के सर्वोच्च पद पर पहुंचना पूरे यूरोप को चौंकाने वाला था।

रॉयल हाउस ऑफ द नीदरलैंड्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार विल्हेल्मिना के पिता, किंग विलियम तृतीय के निधन(1890) के साथ ही देश ने अपने भविष्य के लिए एक छोटा-सा कंधा चुना। रानी बच्ची थी, इसलिए शासन की बागडोर उनकी मां, क्वीन एम्मा ने रीजेंट के रूप में संभाली। लेकिन असली आंखें छोटे महल की उस लड़की पर ही टिकी रहीं, जो खिलौनों से खेलने की उम्र में राजकीय दरबार में बैठना सीख रही थी।

उन्होंने अपने आप को साबित करने में समय नहीं गंवाया। 1898 में जब उनका औपचारिक राजतिलक हुआ, तब तक विल्हेल्मिना एक दृढ़-इच्छाशक्ति वाली युवती के रूप में उभर आई थीं जो आत्मविश्वास से भरी, कुशाग्र बुद्धि वाली और अपने राष्ट्र के प्रति समर्पित थीं। कहा जाता है कि उस दिन उन्होंने जो शाही आभूषण पहने, उनमें चमक जितनी थी, उससे ज्यादा चमक उनके व्यक्तित्व में दिखाई दे रही थी।

यूरोप में साम्राज्यवाद, युद्ध की हवाएं, और आर्थिक चुनौतियां—इन सबके बीच विल्हेल्मिना ने डच जनता को एक स्थिर नेतृत्व दिया। प्रथम विश्व युद्ध में उन्होंने नीदरलैंड को निष्पक्ष रखकर देश को बड़े विनाश से बचाया। यही नहीं, वे मजबूत आवाज, नैतिक शक्ति, और राष्ट्रीय गर्व की प्रतीक बन गईं।

उन्होंने लगभग 50 साल तक शासन किया, जो इस बात का प्रमाण है कि 10 वर्ष की उस रानी की यात्रा केवल ताज पहनने की नहीं, बल्कि ताकत बनकर उभरने की भी थी। 7 फरवरी 1901 को उन्होंने मेक्लेनबर्ग-श्वेरिन के ड्यूक हेंड्रिक से शादी की। उनकी इकलौती संतान, प्रिंसेस जुलियाना, 1909 में पैदा हुई। प्रिंस हेंड्रिक की 1934 में मौत हो गई। 1948 में रानी ने गद्दी छोड़ दी और एपेलडॉर्न के हेट लू पैलेस में रहने लगीं। गद्दी छोड़ने के बाद, उनकी इच्छानुसार उन्हें एक बार फिर 'प्रिंसेस' कहकर बुलाया जाने लगा।

--आईएएनएस

केआर/