खेड़ा, 21 अक्टूबर (आईएएनएस)। गुजरात के खेड़ा जिले में स्थित सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल डाकोर हर साल अपने अनोखे अन्नकूट उत्सव के लिए जाना जाता है। यहां नए साल के अवसर पर भगवान रणछोड़जी को 151 मण यानी 3,000 किलो से अधिक विभिन्न व्यंजनों का भव्य अन्नकूट अर्पित किया जाता है।
यह महाप्रसाद बाद में आमंत्रित ग्रामीणों द्वारा 'लूटा' जाता है, जो एक 250 साल पुरानी धार्मिक परंपरा है।
तीर्थस्थल डाकोर में इस वर्ष अन्नकूट उत्सव दीपावली के दूसरे दिन मनाया गया। सामान्यतः यह उत्सव नए वर्ष के दिन होता है, लेकिन इस बार नक्षत्र के अनुसार नया वर्ष अगले दिन आया, इसलिए अन्नकूट उसी दिन लगाया गया। मंदिर प्रशासन इस अनोखी परंपरा के तहत आसपास के करीब 80 गांवों के विशेष लोगों को आमंत्रित करता है, जिन्हें अन्नकूट को 'लूटने' का सौभाग्य मिलता है।
इस वर्ष अन्नकूट में बूंदी, चावल, मिठाई, फल सहित अनेक प्रकार के व्यंजन शामिल थे। अन्नकूट का भोग भगवान रणछोड़रायजी को अर्पित करने के बाद, दोपहर 2:20 बजे मंदिर के पट खोले गए। जैसे ही पट खुले, आमंत्रित ग्रामीण 'जय रणछोड़' के जयकारों के साथ अन्नकूट की ओर दौड़ पड़े। मात्र 10 मिनट के भीतर पूरे महाप्रसाद को लूट लिया गया। इस दौरान भगदड़ न हो और किसी भक्त को चोट न लगे, इसके लिए पुलिस ने विशेष सख्त बंदोबस्त किए थे।
भक्तों का मानना है कि अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करने से वे पूरे साल स्वस्थ और निरोगी रहते हैं। अन्नकूट के इस अनोखे उत्सव में हर साल हजारों श्रद्धालु जुटते हैं, जो न केवल धार्मिक आस्था का अनुभव करते हैं बल्कि इस भव्य परंपरा का अद्भुत दृश्य भी देखते हैं।
अन्नकूट के लूटने के बाद, ग्रामीण अपने हाथ में आए चावल और अन्य खाद्य सामग्री को गांव में आपस में बांटते हैं। यह परंपरा न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामुदायिक मेल-जोल और भाईचारे की मिसाल भी पेश करती है।
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