सुकमा, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। जल जीवन मिशन ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पोलमपल्ली गांव में हर घर में नल के पानी का कनेक्शन सफलतापूर्वक उपलब्ध कराकर एक उल्लेखनीय बदलाव लाया है। इस पहल से अब निवासियों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो रहा है, जिससे उनके जीवन स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
पोलमपल्ली के निवासी पहले बरसात और गर्मी के मौसम में पानी की कमी से जूझते थे। अब जल जीवन मिशन के तहत नियमित नल के पानी की आपूर्ति का लाभ उठा रहे हैं। इस विश्वसनीय पहुंच ने पानी की कमी की लगातार चली आ रही समस्या का समाधान कर दिया है।
इस पहल से महिलाओं और बुजुर्गों को भी बहुत राहत मिली है, जिन्हें पहले पानी लाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। इस दौरान अक्सर शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ता था। अब उनके घर पर ही नल का पानी उपलब्ध होने से उनकी दैनिक परेशानियां काफी कम हो गई हैं।
स्वच्छ पेयजल की पहुंच से ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। जलजनित रोगों में कमी सुरक्षित जल की उपलब्धता का प्रत्यक्ष परिणाम है। इसके अलावा, नल के पानी की सुविधा ने जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार किया है। ग्रामीणों को आर्थिक रूप से समय और धन दोनों की बचत होती है, क्योंकि अब उन्हें दूर-दराज से पानी लाने के लिए संसाधन खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। इस अतिरिक्त समय का उपयोग अब अन्य उत्पादक गतिविधियों में किया जा सकता है।
स्थानीय निवासी मुकेश साहू ने आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान कहा, "यह पहल हम सभी के लिए मददगार साबित हो रही है। अब हमें पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। पहले गर्मी के मौसम में जलस्तर गिरने की वजह से पानी की किल्लत होती थी। अब इस तरह की समस्याओं का समाधान हो गया है।"
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2019 को शुरू किए गए जल जीवन मिशन का उद्देश्य भारत के सभी ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना है। 1 फरवरी, 2025 तक इस मिशन ने 15.44 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल के पानी से जोड़ दिया है, जो सभी ग्रामीण परिवारों का लगभग 79.74 प्रतिशत है। यह मिशन की शुरुआत में कनेक्शन वाले 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) परिवारों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।
इस मिशन का उद्देश्य माताओं और बहनों को पानी लाने के सदियों पुराने बोझ से मुक्ति दिलाना और उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। यह जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और ग्रेवाटर प्रबंधन के माध्यम से स्थिरता पर जोर देता है।
--आईएएनएस
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