गरियाबंद, 31 दिसंबर (आईएएनएस)। लखपति दीदी योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना है। इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को विभिन्न कौशल विकास प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे सालाना एक लाख रुपए या उससे अधिक की आय अर्जित कर सकें।
जिला गरियाबंद छुरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत सरकड़ा के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अलग-अलग व्यवसाय करके आज लखपति बन चुकी हैं। ये लखपति दीदियां लाखों रुपए सालाना आमदनी करके स्वालंबन की ओर बढ़ रही हैं और स्वयं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।
लखपति दीदी नर्मदा निषाद ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि जय मां भवानी स्वयं सहायता समूह से जुड़कर वे काम कर रही हैं। पहले सिलाई मशीन चलाकर कुछ धन अर्जन कर किराना दुकान खोली, उसमें भी अच्छी खासी कमाई कर अब उस पैसे को ईंट बनाकर कई गुना मुनाफा कमा रही हैं। अपने रोजगार को बढ़ाने के लिए समूह के माध्यम से लोन लिया और सालाना डेढ़ लाख रुपए तक की कमाई कर रही हैं। अब वह आत्मनिर्भर बना चुकी हैं और अपने परिवार को चला रही हैं।
जय मां लक्ष्मी समूह की लखपति दीदी लीना साहू ने बताया कि समूह के माध्यम से लोन लेकर वह अपने घर में ही एक छोटा सा फैंसी स्टोर किराना दुकान चला रही हैं। साथ ही कृषि कार्य और कृषि मित्र, महतारी वंदन, और किसान सम्मान निधि प्राप्त कर सालाना डेढ़ लाख के करीब कमा रही हैं। अब वे लखपति दीदी की श्रेणी में आकर परिवार के साथ बेहद खुशी से जीवन बिता रही हैं।
राधारानी समूह की फुलेश्वरी निषाद ने भी सब्जी और धान की खेती की, और वह सब्जी बेचकर लखपति दीदी बन गईं। उन्होंने समूह के माध्यम से लोन लिया और हरी सब्जी की खेती और धान की खेती कर लाभ कमा रही हैं। अब यही उनकी जीविका बन चुकी है। हरी सब्जी की खेती बारह महीने उत्पादन कर बाजार में बेचकर स्वालंबन की ओर हैं। उन्होंने बताया कि वे सालाना एक लाख रुपए कमा लेती हैं और अपने परिवार के साथ आत्मनिर्भर होकर जीवन यापन कर रही हैं।
क्लस्टर समन्वयक झरना साहू ने बताया कि स्व सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। लोन के माध्यम से वे छोटे-छोटे व्यवसाय को जीविका के रूप में कर रही हैं, और साथ ही लखपति दीदी योजना के अंतर्गत वे सभी कार्य आते हैं।
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